सर्वेक्षण Poetry (page 1)

दयार-ए-ख़्वाब को निकलूँगा सर उठा कर मैं

ग़ुलाम हुसैन साजिद

दिल्ली पे क़ुर्बान

इज़हार मलीहाबादी

हम बाद-ए-सबा ले के जब घर से निकलते थे

ज़ुबैर रिज़वी

ये हुक्म है कि अँधेरे को रौशनी समझो

ज़ेहरा निगाह

फूलों की अंजुमन में बहुत देर तक रहा

ज़ीशान साहिल

न अब्र से तिरा साया न तू निकलता है

ज़ेब ग़ौरी

दिन तिरी याद में ढल जाता है आँसू की तरह

ज़ेब ग़ौरी

ग़ुंचा-दहन वही है कि गूँगा कहें जिसे

ज़रीफ़ लखनवी

आजिज़ी को चलन किए हुए हैं

ज़ाहिद शम्सी

गो मुब्तला-ए-गर्दिश-ए-शाम-ओ-सहर हूँ मैं

ज़ाहिद चौधरी

रंग है ऐ साक़ी-ए-सरशार क़ैसर-बाग़ में

वज़ीर अली सबा लखनवी

देख कर ख़ुश-रंग उस गुल-पैरहन के हाथ पाँव

वज़ीर अली सबा लखनवी

ऐ सनम सब हैं तिरे हाथों से नालाँ आज-कल

वज़ीर अली सबा लखनवी

ऐ सबा जज़्ब पे जिस दम दिल-ए-नाशाद आया

वज़ीर अली सबा लखनवी

अदू-ए-जाँ बुत-ए-बे-बाक निकला

वज़ीर अली सबा लखनवी

किया बाग़-ए-जहाँ में नाम उन का सर्व कह कह कर

वलीउल्लाह मुहिब

है मिरे पहलू में और मुझ को नज़र आता नहीं

वलीउल्लाह मुहिब

दिल-ए-ख़िल्क़त-ए-ख़ुदा को सनमा जला न चंदाँ

वलीउल्लाह मुहिब

यार उठ गए दुनिया से अग़्यार की बारी है

वली उज़लत

फिर आई फ़स्ल-ए-गुल ऐ यार देखिए क्या हो

वली उज़लत

जिन दिनों हम उस शब-ए-हज़ के सियह-कारों में थे

वली उज़लत

दर्द जूँ शम्अ' मिले है शब-ए-हिज्राँ मुझ को

वली उज़लत

अगर मैं मोजज़े को ख़ाकसारी के अयाँ करता

वली उज़लत

तुझ लब की सिफ़त लाल-ए-बदख़्शाँ सूँ कहूँगा

वली मोहम्मद वली

तिरा मजनूँ हूँ सहरा की क़सम है

वली मोहम्मद वली

शग़्ल बेहतर है इश्क़-बाज़ी का

वली मोहम्मद वली

हुआ ज़ाहिर ख़त-ए-रू-ए-निगार आहिस्ता-आहिस्ता

वली मोहम्मद वली

अगर गुलशन तरफ़ वो नौ-ख़त-ए-रंगीं-अदा निकले

वली मोहम्मद वली

आज सरसब्ज़ कोह ओ सहरा है

वली मोहम्मद वली

नाज़ कर नाज़ कि ये नाज़ जुदा है सब से

उम्मीद फ़ाज़ली

Collection of Hindi Poetry. Get Best Hindi Shayari, Poems and ghazal. Read shayari Hindi, poetry by famous Hindi and Urdu poets. Share poetry hindi on Facebook, Whatsapp, Twitter and Instagram.