सर्वेक्षण Poetry (page 4)

दिल है तो मुक़ामात-ए-फुग़ाँ और भी होंगे

सज्जाद बाक़र रिज़वी

अब वो जो नहीं उन की तमन्ना भी बहुत है

सज्जाद बाक़र रिज़वी

विसाल-ओ-हिज्र से वाबस्ता तोहमतें भी गईं

सहर अंसारी

तिरी गाली मुझ दिल को प्यारी लगे

सदरुद्दीन मोहम्मद फ़ाएज़

रास्त अगर सर्व सी क़ामत करे

सदरुद्दीन मोहम्मद फ़ाएज़

सातों फ़लक किए तह-ओ-बाला निकल गया

रिन्द लखनवी

क़ब्र पर होवें दो न चार दरख़्त

रिन्द लखनवी

जलन दिल की लिक्खें जो हम दिल-जले

रिन्द लखनवी

दिल-लगी ग़ैरों से बे-जा है मिरी जाँ छोड़ दे

रिन्द लखनवी

अदू ग़ैर ने तुझ को दिलबर बनाया

रिन्द लखनवी

दौलत-ए-हर्फ़-ओ-बयाँ साथ लिए फिरते हैं

रिफ़अत सरोश

कुंज-ए-इज़्ज़त से उठो सुब्ह-ए-बहाराँ देखो

रज़ी तिर्मिज़ी

गुल-ए-उश्शाक़ रंग-ए-बाख़्ता है

रज़ा अज़ीमाबादी

पत्ते तमाम हल्क़ा-ए-सरसर में रह गए

रऊफ़ ख़ैर

तेरे आने का इंतिज़ार रहा

रसा चुग़ताई

जब तक दौर-ए-जाम चलेगा

रसा चुग़ताई

यक़ीनन है कोई माह-ए-मुनव्वर पीछे चिलमन के

रंजूर अज़ीमाबादी

सौदा-ए-सज्दा शाम-ओ-सहर मेरे सर में है

रंजूर अज़ीमाबादी

राज़-ए-गिरफ़्तगी न असीर-ए-लहन से पूछ

रईस अमरोहवी

लो फ़क़ीरों की दुआ हर तरह आबाद रहो

इंशा अल्लाह ख़ान

जी चाहता है शैख़ की पगड़ी उतारिए

इंशा अल्लाह ख़ान

बात के साथ ही मौजूद है टाल एक न एक

इंशा अल्लाह ख़ान

क़ैद-ए-तन से रूह है नाशाद क्या

इम्दाद इमाम असर

मैं सियह-रू अपने ख़ालिक़ से जो ने'मत माँगता

इमदाद अली बहर

महबूब-ए-ख़ुदा ने तुझे नायाब बनाया

इमदाद अली बहर

कभी देखें जो रू-ए-यार दरख़्त

इमदाद अली बहर

आतिश-ए-बाग़ ऐसे भड़की है कि जलती है हवा

इमदाद अली बहर

कौन सा तन है कि मिस्ल-ए-रूह इस में तू नहीं

इमाम बख़्श नासिख़

बुतों का ज़िक्र करो वाइज़ ख़ुदा को किस ने देखा है

हातिम अली मेहर

गुल कभू हम को दिखाती है कभी सर्व-ओ-समन

हसरत अज़ीमाबादी

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