सर्वेक्षण Poetry (page 5)

कब तलक पीवेगा तू तर-दामनों से मिल के मुल

हसरत अज़ीमाबादी

आश्ना कब हो है ये ज़िक्र दिल-ए-शाद के साथ

हसरत अज़ीमाबादी

जब कभी मेरे क़दम सू-ए-चमन आए हैं

हसन नईम

ये किस रश्क-ए-मसीहा का मकाँ है

हैदर अली आतिश

वहशी थे बू-ए-गुल की तरह इस जहाँ में हम

हैदर अली आतिश

तुर्रा उसे जो हुस्न-ए-दिल-आज़ार ने किया

हैदर अली आतिश

ताज़ा हो दिमाग़ अपना तमन्ना है तो ये है

हैदर अली आतिश

क़द-ए-सनम सा अगर आफ़रीदा होना था

हैदर अली आतिश

पयम्बर मैं नहीं आशिक़ हूँ जानी

हैदर अली आतिश

कोई इश्क़ में मुझ से अफ़्ज़ूँ न निकला

हैदर अली आतिश

इस शश-जिहत में ख़ूब तिरी जुस्तुजू करें

हैदर अली आतिश

दीवानगी ने क्या क्या आलम दिखा दिए हैं

हैदर अली आतिश

दिल शहीद-ए-रह-ए-दामान न हुआ था सो हुआ

हैदर अली आतिश

बुलबुल को ख़ार ख़ार-ए-दबिस्ताँ है इन दिनों

हैदर अली आतिश

बुलबुल गुलों से देख के तुझ को बिगड़ गया

हैदर अली आतिश

बला-ए-जाँ मुझे हर एक ख़ुश-जमाल हुआ

हैदर अली आतिश

बुतान-ए-सर्व-क़ामत की मोहब्बत में न फल पाया

हबीब मूसवी

कोई बात ऐसी आज ऐ मेरी गुल-रुख़्सार बन जाए

हबीब मूसवी

फ़रियाद भी मैं कर न सका बे-ख़बरी से

हबीब मूसवी

क्या हैं शैदा-ए-क़द्द-ए-यार दरख़्त

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

हाथ से कुछ न तिरे ऐ मह-ए-कनआँ होगा

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

अपना हर उज़्व चश्म-ए-बीना है

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

साए की तरह साथ फिरें सर्व ओ सनोबर

ग़ालिब

वो मिरी चीन-ए-जबीं से ग़म-ए-पिन्हाँ समझा

ग़ालिब

सताइश-गर है ज़ाहिद इस क़दर जिस बाग़-ए-रिज़वाँ का

ग़ालिब

रफ़्तार-ए-उम्र क़त-ए-रह-ए-इज़्तिराब है

ग़ालिब

नश्शा-हा शादाब-ए-रंग ओ साज़-हा मस्त-ए-तरब

ग़ालिब

ख़तर है रिश्ता-ए-उल्फ़त रग-ए-गर्दन न हो जावे

ग़ालिब

जिस बज़्म में तू नाज़ से गुफ़्तार में आवे

ग़ालिब

जहाँ तेरा नक़्श-ए-क़दम देखते हैं

ग़ालिब

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