अदू ग़ैर ने तुझ को दिलबर बनाया

अदू ग़ैर ने तुझ को दिलबर बनाया

कोई जोड़ मुझ पर मुक़र्रर बनाया

कोई सर्व रखता न था रास्त ये है

तिरे क़द को मैं ने सनोबर बनाया

किया मैं ने जल्लाद उसे अपने हक़ में

सितम सहते सहते सितमगर बनाया

न गिनता था कोई हसीनों में ओ बुत

तुझे दे के दिल मैं ने दिलबर बनाया

शकर-लब कहा मैं ने कड़वे हुए तुम

अबस मुँह को मुझ से सितमगर बनाया

अनासिर से ख़ालिक़ ने ख़िल्क़त बनाई

तुझे नूर से हूर-पैकर बनाया

तिरा आशिक़-ए-ज़ार रोज़-ए-अज़ल से

बनाया मुझे ओ सितमगर बनाया

भला क्या जवाब इस का देगा तू क़ातिल

अगर ख़ून का मैं ने महज़र बनाया

मिरी अक़्ल हैराँ है बार-ए-इलाहा

तिलिस्मात-ए-दुनिया को क्यूँ-कर बनाया

पड़ी जान उड़ने लगा मेरे ईसा

रुई का जो तू ने कबूतर बनाया

हमा-वक़्त मुमकिन नहीं वस्ल-ए-दिलबर

हँसी-खेल किया जान-ए-मुज़्तर बनाया

वो हूँ साहिब-ए-ज़र्फ़ हरगिज़ न छलका

अगर ख़ाक का मेरी साग़र बनाया

ख़याल-ए-दहन ने किया तंग मुझ को

कमर के तसव्वुर ने लाग़र बनाया

घुले सोज़-ए-फ़ुर्क़त में उस शम्अ-रू के

ये हाल अपना क्यूँ 'रिन्द' जल कर बनाया

(445) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Rind Lakhnavi. is written by Rind Lakhnavi. Complete Poem in Hindi by Rind Lakhnavi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.