सवाल Poetry (page 12)

जबीन पर क्यूँ शिकन है ऐ जान मुँह है ग़ुस्से से लाल कैसा

हबीब मूसवी

ख़ुश-नज़र है न ख़ुश-ख़याल है ये

हबाब तिर्मिज़ी

दिल ब-अज़-काबा है याराँ जुब्बा-साई चाहिए

ग़ुलाम यहया हुज़ूर अज़ीमाबादी

आइना है ये जहाँ इस में जमाल अपना है

ग़ुलाम यहया हुज़ूर अज़ीमाबादी

दर्द जब जब जहाँ से गुज़रेगा

गोविन्द गुलशन

ज़बान अपनी बदलने पे कोई राज़ी नहीं

ग़ुलाम मुर्तज़ा राही

मेरी पहचान बताने का सवाल आया जब

ग़ुलाम मुर्तज़ा राही

रखता नहीं है दश्त सरोकार आब से

ग़ुलाम मुर्तज़ा राही

मिरी गिरफ़्त में है ताएर-ए-ख़याल मिरा

ग़ुलाम मुर्तज़ा राही

हर बच्चा आँखें खोलते ही करता है सवाल मोहब्बत का

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

सोते हैं वो आईना ले कर ख़्वाबों में बाल बनाते हैं

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

नज़र नज़र में अदा-ए-जमाल रखते थे

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

बारूद के बदले हाथों में आ जाए किताब तो अच्छा हो

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

तुम्हारे होते हुए लोग क्यूँ भटकते हैं

ग़ज़नफ़र

ख़ला के दश्त से अब रिश्ता अपना क़त्अ करूँ

ग़ज़नफ़र

वो फ़िराक़ और वो विसाल कहाँ

ग़ालिब

रफ़्तार-ए-उम्र क़त-ए-रह-ए-इज़्तिराब है

ग़ालिब

फिर कुछ इक दिल को बे-क़रारी है

ग़ालिब

हुस्न-ए-मह गरचे ब-हंगाम-ए-कमाल अच्छा है

ग़ालिब

गर ख़ामुशी से फ़ाएदा इख़्फ़ा-ए-हाल है

ग़ालिब

दिया है दिल अगर उस को बशर है क्या कहिए

ग़ालिब

सवाल

गीताञ्जलि राय

तू इधर उधर की न बात कर ये बता कि क़ाफ़िला क्यूँ लुटा

फ़िराक़ जलालपुरी

जिसे लोग कहते हैं तीरगी वही शब हिजाब-ए-सहर भी है

फ़िराक़ गोरखपुरी

उदास देख के वजह-ए-मलाल पूछेगा

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

रुका जवाब की ख़ातिर न कुछ सवाल किया

फ़ातिमा हसन

जो ख़ुद पे बैठे बिठाए ज़वाल ले आए

फ़ारूक़ शमीम

ग़म की चादर ओढ़ कर सोए थे क्या

फ़ारूक़ नाज़की

मगर इन आँखों में किस सुब्ह के हवाले थे

फ़ारूक़ मुज़्तर

आँख को जकड़े थे कल ख़्वाब अज़ाबों के

फ़रहत शहज़ाद

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