सवाल Poetry (page 5)

जिहत की तलाश

शकेब जलाली

गुरेज़-पा

शकेब जलाली

मैं रिवायत हूँ एक भूली हुई

शाइस्ता यूसुफ़

तू जो कहता है बोलता क्या है

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

मिरे रोग का न मलाल कर मिरे चारा-गर

शहज़ाद नय्यर

मिरा नहीं तो वो अपना ही कुछ ख़याल करे

शहज़ाद नय्यर

जाने किस सम्त से हवा आई

शहज़ाद अहमद

एक और साल गिरह

शहरयार

मिरे सुख़न पे इक एहसान अब के साल तो कर

शहराम सर्मदी

हवा के हौसले ज़ंजीर करना चाहता है

शहनाज़ नूर

मर्द---औरत

शहनाज़ नबी

वहशतों को भी अब कमाल कहाँ

शाहिदा हसन

सलीक़ा इश्क़ में मेरा बड़े कमाल का था

शाहिदा हसन

ज़िंदगी मेरी हुई है फिर निढाल

शाहिद नईम

मजमा' मिरे हिसार में सैलानियों का है

शाहिद मीर

भटक रही है अंधेरों में आँख देखे क्या

शाहिद माहुली

ये जो रब्त रू-ब-ज़वाल है ये सवाल है

शाहिद लतीफ़

कुंज-ए-दिल में है जो मलाल उछाल

शाहिद कमाल

ब-हर्फ़-ए-सूरत इंकार तोड़ दी मैं ने

शाहिद कमाल

ऐ ज़ौक़ अर्ज़-ए-हुनर हर्फ़-ए-ए'तिदाल में रख

शाहिद कमाल

तिरी थकी हुई आँखों में ख़्वाब था कि नहीं

शाहिद कलीम

कोई बच नहीं पाता ऐसा जाल बुनते हैं

शाहिद फ़रीद

यूँ देखने को देखते रहते हैं ख़्वाब लोग

शाहिद अहमद शोएब

दिल से

शहाब अख़्तर

उस काकुल-ए-पुर-ख़म का ख़लल जाए तो अच्छा

शाह नसीर

तलब में बोसे की क्या है हुज्जत सवाल दीगर जवाब दीगर

शाह नसीर

दिल में है क्या जानिए किस का ख़याल-ए-नक़्श-ए-पा

शाह नसीर

अपने ख़ूँ का उन पे क्यूँ दा'वा किया

शाग़िल क़ादरी

सारी ताबीरें हैं उस की सारे ख़्वाब उस के लिए

शफ़ीक़ सलीमी

कुंज-ए-तन्हाई बसाए हिज्र की लज़्ज़त में हूँ

शफ़ीक़ सलीमी

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