वृक्षारोपण Poetry (page 21)

आँखों में आँसुओं को उभरने नहीं दिया

अदीम हाशमी

गुलों सी गुफ़्तुगू करें क़यामतों के दरमियाँ

अदा जाफ़री

गया तो हुस्न न दीवार में न दर में था

अबुल मुजाहिद ज़ाहिद

तमाम हिज्र उसी का विसाल है उस का

अबुल हसनात हक़्क़ी

हवा हर इक सम्त बह रही है

अबरार अहमद

कफ़-ए-ख़िज़ाँ पे खिला मैं इस ए'तिबार के साथ

आबिद सयाल

गले लगाए मुझे मेरा राज़दाँ हो जाए

आबिद मलिक

न जाने कौन फ़ज़ाओं में ज़हर घोल गया

अब्दुस्समद ’तपिश’

कौन पत्थर उठाए

अब्दुस्समद ’तपिश’

ख़ौफ़-ओ-वहशत बर-सर-ए-बाज़ार रख जाता है कौन

अब्दुस्समद ’तपिश’

जफ़ा के ज़िक्र पे वो बद-हवास कैसा है

अब्दुस्समद ’तपिश’

गरचे नेज़ों पे सर है

अब्दुस्समद ’तपिश’

क़दम क़दम पे नया इम्तिहाँ है मेरे लिए

अब्दुल्लाह कमाल

समुंदर पार आ बैठे मगर क्या

अब्दुल्लाह जावेद

मेरे घर से उस की यादों के मकीं जाते नहीं

अब्दुल मन्नान समदी

कितनी महबूब थी ज़िंदगी कुछ नहीं कुछ नहीं

अब्दुल हमीद

एक ख़ुदा पर तकिया कर के बैठ गए हैं

अब्दुल हमीद

नख़चीर हूँ मैं कश्मकश-ए-फ़िक्र-ओ-नज़र का

अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद

ये वाहिमे भी अजब बाम-ओ-दर बनाते हैं

अब्बास ताबिश

ये अजब साअत-ए-रुख़्सत है कि डर लगता है

अब्बास ताबिश

वो कौन है जो पस-ए-चश्म-ए-तर नहीं आता

अब्बास ताबिश

पस-ए-ग़ुबार भी उड़ता ग़ुबार अपना था

अब्बास ताबिश

फ़क़त माल-ओ-ज़र-ए-दीवार-ओ-दर अच्छा नहीं लगता

अब्बास ताबिश

एक क़दम तेग़ पे और एक शरर पर रक्खा

अब्बास ताबिश

दम-ए-सुख़न ही तबीअ'त लहू लहू की जाए

अब्बास ताबिश

गुज़र गया वो ज़माना वो ज़ख़्म भर भी गए

अब्बास रिज़वी

शजर जिस पे मैं रहता हूँ उसे काटा नहीं करता

अातिश इंदौरी

ज़िंदगी गुज़री मिरी ख़ुश्क शजर की सूरत

अातिश बहावलपुरी

किस की तलाश है हमें किस के असर में हैं

आशुफ़्ता चंगेज़ी

जिस की न कोई रात हो ऐसी सहर मिले

आशुफ़्ता चंगेज़ी

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