गुलों सी गुफ़्तुगू करें क़यामतों के दरमियाँ

गुलों सी गुफ़्तुगू करें क़यामतों के दरमियाँ

हम ऐसे लोग अब मिलें हिकायतों के दरमियाँ

लहूलुहान उँगलियाँ हैं और चुप खड़ी हूँ मैं

गुल ओ समन की बे-पनाह चाहतों के दरमियाँ

हथेलियों की ओट ही चराग़ ले चलूँ अभी

अभी सहर का ज़िक्र है रिवायतों के दरमियाँ

जो दिल में थी निगाह सी निगाह में किरन सी थी

वो दास्ताँ उलझ गई वज़ाहतों के दरमियाँ

सहीफ़ा-ए-हयात में जहाँ जहाँ लिखी गई

लिखी गई हदीस-ए-जाँ जराहतों के दरमियाँ

कोई नगर कोई गली शजर की छाँव ही सही

ये ज़िंदगी न कट सके मसाफ़तों के दरमियाँ

अब उस के ख़ाल-ओ-ख़द का रंग मुझ से पूछना अबस

निगह झपक झपक गई इरादतों के दरमियाँ

सबा का हाथ थाम कर 'अदा' न चल सकोगी तुम

तमाम उम्र ख़्वाब ख़्वाब साअतों के दरमियाँ

(798) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Gulon Si Guftugu Karen Qayamaton Ke Darmiyan In Hindi By Famous Poet Ada Jafri. Gulon Si Guftugu Karen Qayamaton Ke Darmiyan is written by Ada Jafri. Complete Poem Gulon Si Guftugu Karen Qayamaton Ke Darmiyan in Hindi by Ada Jafri. Download free Gulon Si Guftugu Karen Qayamaton Ke Darmiyan Poem for Youth in PDF. Gulon Si Guftugu Karen Qayamaton Ke Darmiyan is a Poem on Inspiration for young students. Share Gulon Si Guftugu Karen Qayamaton Ke Darmiyan with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.