व्यक्ति Poetry (page 37)

फटा हुआ जो गरेबाँ दिखाई देता है

आबिद वदूद

अगले पड़ाव पर यूँही ख़ेमा लगाओगे

आबिद मुनावरी

मैं ने लोगों को न लोगों ने मुझे देखा था

आबिद मलिक

किसे ख़बर थी कि ख़ुद को वो यूँ छुपाएगा

आबिद ख़ुर्शीद

ज़र्द मौसम की हवाओं में खड़ा हूँ मैं भी

आबिद करहानी

दश्त में छाँव कोई ढूँड निकाली जाए

आबिद करहानी

वो जो हर राह के हर मोड़ पर मिल जाता है

आबिद आलमी

तुम ने जब घर में अंधेरों को बुला रक्खा है

आबिद आलमी

तुम ने जब घर में अँधेरों को बुला रक्खा है

आबिद आलमी

क्या ख़बर कब से प्यासा था सहरा

आबिद आलमी

जो शख़्स तुझ को फ़रिश्ता दिखाई देता है

आबिद आलमी

राह भटका हुआ इंसान नज़र आता है

अभिषेक कुमार अम्बर

ये मत समझ कि तिरे साथ कुछ नहीं करेगा

अब्दुर्राहमान वासिफ़

वो शख़्स जिस ने ख़ुद अपना लहू पिया होगा

अब्दुर्रहीम नश्तर

वो शख़्स क्या है मिरे वास्ते सुनाएँ उसे

अब्दुल्लाह कमाल

महफ़िल इश्क़ में जो यार उठे और बैठे

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

बज़्म में वो बैठता है जब भी आगे सामने

अब्दुल मन्नान समदी

हर दुश्मन-ए-वफ़ा मुझे महबूब हो गया

अब्दुल हमीद अदम

एक ख़ुदा पर तकिया कर के बैठ गए हैं

अब्दुल हमीद

ग़ुबार-ए-दर्द से सारा बदन अटा निकला

अब्दुल हफ़ीज़ नईमी

जीतने मारका-ए-दिल वो लगातार गया

अब्दुल अहद साज़

बुझ गई आग तो कमरे में धुआँ ही रखना

अब्दुल अहद साज़

तू भी ऐ शख़्स कहाँ तक मुझे बर्दाश्त करे

अब्बास ताबिश

मैं हूँ इस शहर में ताख़ीर से आया हुआ शख़्स

अब्बास ताबिश

ये अजब साअत-ए-रुख़्सत है कि डर लगता है

अब्बास ताबिश

याद कर कर के उसे वक़्त गुज़ारा जाए

अब्बास ताबिश

वो कौन है जो पस-ए-चश्म-ए-तर नहीं आता

अब्बास ताबिश

पाँव पड़ता हुआ रस्ता नहीं देखा जाता

अब्बास ताबिश

मिरे बदन में लहू का कटाव ऐसा था

अब्बास ताबिश

कोई टकरा के सुबुक-सर भी तो हो सकता है

अब्बास ताबिश

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