शौक Poetry (page 48)

मेरी नवा-ए-शौक़ से शोर हरीम-ए-ज़ात में

अल्लामा इक़बाल

मकतबों में कहीं रानाई-ए-अफ़कार भी है

अल्लामा इक़बाल

ख़िरद ने मुझ को अता की नज़र हकीमाना

अल्लामा इक़बाल

गुलज़ार-ए-हस्त-ओ-बूद न बेगाना-वार देख

अल्लामा इक़बाल

असर करे न करे सुन तो ले मिरी फ़रियाद

अल्लामा इक़बाल

अपनी जौलाँ-गाह ज़ेर-ए-आसमाँ समझा था मैं

अल्लामा इक़बाल

अगर कज-रौ हैं अंजुम आसमाँ तेरा है या मेरा

अल्लामा इक़बाल

सवाद-ए-शौक़-ओ-तलब ग़म का बाब ऐसा था

अली वजदान

मक़तल-ए-शौक़ के आदाब निराले हैं बहुत

अली सरदार जाफ़री

तुम्हारा शहर

अली सरदार जाफ़री

ताशक़ंद की शाम

अली सरदार जाफ़री

सर-ए-तूर

अली सरदार जाफ़री

क़त्ल-ए-आफ़्ताब

अली सरदार जाफ़री

इन्फ़िरादियत

अली सरदार जाफ़री

फ़रेब

अली सरदार जाफ़री

वुफ़ूर-ए-शौक़ की रंगीं हिकायतें मत पूछ

अली सरदार जाफ़री

उलझे काँटों से कि खेले गुल-ए-तर से पहले

अली सरदार जाफ़री

सुब्ह हर उजाले पे रात का गुमाँ क्यूँ है

अली सरदार जाफ़री

सितारों के पयाम आए बहारों के सलाम आए

अली सरदार जाफ़री

शिकस्त-ए-शौक़ को तकमील-ए-आरज़ू कहिए

अली सरदार जाफ़री

लू के मौसम में बहारों की हवा माँगते हैं

अली सरदार जाफ़री

खुले हैं मश्रिक-ओ-मग़रिब की गोद में गुलज़ार

अली सरदार जाफ़री

काम अब कोई न आएगा बस इक दिल के सिवा

अली सरदार जाफ़री

हम जो महफ़िल में तिरी सीना-फ़िगार आते हैं

अली सरदार जाफ़री

फ़रोग़-ए-दीदा-ओ-दिल लाला-ए-सहर की तरह

अली सरदार जाफ़री

फ़रोग़-ए-दीदा-ओ-दिल लाला-ए-सहर की तरह

अली सरदार जाफ़री

अब आ गया है जहाँ में तो मुस्कुराता जा

अली सरदार जाफ़री

तिरे दयार में कोई ग़म-आश्ना तो नहीं

अली जव्वाद ज़ैदी

नया मय-कदे में निज़ाम आ गया

अली जव्वाद ज़ैदी

कम-ज़र्फ़ एहतियात की मंज़िल से आए हैं

अली जव्वाद ज़ैदी

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