तमन्ना Poetry (page 28)

समंदर का सुकूत

चन्द्रभान ख़याल

अगर दर्द-ए-मोहब्बत से न इंसाँ आश्ना होता

चकबस्त ब्रिज नारायण

मेरे ख़ामोश ख़ुदा

बुशरा एजाज़

तुझ से तसव्वुरात में ऐ जान-ए-आरज़ू

ब्रहमा नन्द जलीस

वही होती है रहबर जो तमन्ना दिल में होती है

बिस्मिल सईदी

सर जिस पे न झुक जाए उसे दर नहीं कहते

बिस्मिल सईदी

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

बिस्मिल अज़ीमाबादी

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

बिस्मिल अज़ीमाबादी

ये कैसी आग अभी ऐ शम्अ तेरे दिल में बाक़ी है

बिस्मिल इलाहाबादी

उन से कह दो कि इलाज-ए-दिल-ए-शैदा न करें

बिस्मिल इलाहाबादी

दुनिया में वफ़ा-केश बशर ढूँढ रहा हूँ

बिर्ज लाल रअना

तिरी तलाश में निकला तो रास्ता हुआ मैं

बिलाल अहमद

रहे न एक भी बेदाद-गर सितम बाक़ी

भारतेंदु हरिश्चंद्र

कुछ न कुछ सिलसिला ही बन जाता

भारत भूषण पन्त

दीद की तमन्ना में आँख भर के रोए थे

भारत भूषण पन्त

वो सुन कर हूर की तारीफ़ पर्दे से निकल आए

बेख़ुद देहलवी

तुम हमारे दिल-ए-शैदा को नहीं जानते क्या

बेख़ुद देहलवी

माशूक़ हमें बात का पूरा नहीं मिलता

बेख़ुद देहलवी

हुआ जो वक़्फ़-ए-ग़म वो दिल किसी का हो नहीं सकता

बेख़ुद देहलवी

ऐसा बना दिया तुझे क़ुदरत ख़ुदा की है

बेख़ुद देहलवी

आँसू मिरी आँखों में हैं नाले मिरे लब पर

बेखुद बदायुनी

साथ साथ अहल-ए-तमन्ना का वो मुज़्तर जाना

बेखुद बदायुनी

नज़र की फ़त्ह कभी क़ल्ब की शिकस्त लगे

बेकल उत्साही

तिरे इश्क़ में ज़िंदगानी लुटा दी

बहज़ाद लखनवी

क्या ये भी मैं बतला दूँ तू कौन है मैं क्या हूँ

बहज़ाद लखनवी

होना ही क्या ज़रूर थे ये दो-जहाँ हैं क्यूँ

बहज़ाद लखनवी

ये ख़ुसरवी-ओ-शौकत-ए-शाहाना मुबारक

बेदम शाह वारसी

तेरी उल्फ़त शोबदा-पर्वाज़ है

बेदम शाह वारसी

न मेहराब-ए-हरम समझे न जाने ताक़-ए-बुत-ख़ाना

बेदम शाह वारसी

मुझे शिकवा नहीं बर्बाद रख बर्बाद रहने दे

बेदम शाह वारसी

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