तीर Poetry (page 20)

बुतों के वास्ते तो दीन-ओ-ईमाँ बेच डाले हैं

आग़ा शाएर क़ज़लबाश

उड़ कर सुराग़-ए-कूचा-ए-दिलबर लगाइए

आग़ा हज्जू शरफ़

ख़ुदा-मालूम किस की चाँद से तस्वीर मिट्टी की

आग़ा हज्जू शरफ़

जवानी आई मुराद पर जब उमंग जाती रही बशर की

आग़ा हज्जू शरफ़

हुए ऐसे ब-दिल तिरे शेफ़्ता हम दिल-ओ-जाँ को हमेशा निसार किया

आग़ा हज्जू शरफ़

हुआ है तौर-ए-बर्बादी जो बे-दस्तूर पहलू में

आग़ा हज्जू शरफ़

दिखाई दे कि शुआ-ए-बसीर खींचता हूँ

अफ़ज़ाल नवेद

ये बता दे मुझ को मेरे दिल किसे आवाज़ दूँ

अफ़ज़ल इलाहाबादी

जंगल के पास एक औरत

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद

रौशन वो दिल पे मेरे दिल-आज़ार से हुआ

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद

दीवार-ए-चीन

आफ़ताब इक़बाल शमीम

हर एक गाम उलझता हूँ अपने आप से मैं

आफ़ताब हुसैन

क़दम क़दम पे किसी इम्तिहाँ की ज़द में है

आफ़ताब हुसैन

हुआ ख़त्म दरिया तो सहरा लगा

आदिल मंसूरी

होने को यूँ तो शहर में अपना मकान था

आदिल मंसूरी

घूम रहा था एक शख़्स रात के ख़ारज़ार में

आदिल मंसूरी

मैं गुफ़्तुगू हूँ कि तहरीर के जहान में हूँ

अदीम हाशमी

चल दिया वो देख कर पहलू मिरी तक़्सीर का

अदीम हाशमी

मंज़िलें न भूलेंगे राह-रौ भटकने से

अदीब सहारनपुरी

वो लम्हा जो मेरा था

अदा जाफ़री

ख़लिश-ए-तीर-ए-बे-पनाह गई

अदा जाफ़री

कोह-ए-ग़म से क्या ग़रज़ फ़िक्र-ए-बुताँ से क्या ग़रज़

अबू ज़ाहिद सय्यद यहया हुसैनी क़द्र

इश्क़ का तीर दिल में लागा है

आबरू शाह मुबारक

गुनाहगारों की उज़्र-ख़्वाही हमारे साहिब क़ुबूल कीजे

आबरू शाह मुबारक

जो कहते हैं किधर दीवानगी है

आबिद अख़्तर

जिस्म के मर्तबान में क्या है

अब्दुस्समद ’तपिश’

फिर इक नए सफ़र पे चला हूँ मकान से

अब्दुर्रहीम नश्तर

अगर हो ख़ौफ़-ज़दा ताक़त-ए-बयाँ कैसी

अब्दुर्रहीम नश्तर

अच्छा है कोई तीर-बा-नश्तर भी ले चलो

अब्दुल्लतीफ़ शौक़

सुनाया यार नीं आ कर दो तारा

अब्दुल वहाब यकरू

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