ज़बां Poetry (page 37)

ये बंदगी का सदा अब समाँ रहे न रहे

अबु मोहम्मद वासिल

तसव्वुरात में इन को बुला के देख लिया

अबु मोहम्मद वासिल

जबीन-ए-शौक़ पर कोई हुआ है मेहरबाँ शायद

अबु मोहम्मद वासिल

रता है अबरुवाँ पर हाथ अक्सर लावबाली का

आबरू शाह मुबारक

हम नीं सजन सुना है उस शोख़ के दहाँ है

आबरू शाह मुबारक

हुआ हूँ दिल सेती बंदा पिया की मेहरबानी का

आबरू शाह मुबारक

पस-मंज़र की आवाज़

अबरार अहमद

हैराँ नहीं हैं हम कि परेशाँ नहीं हैं हम

अब्र अहसनी गनौरी

बेकसी का हाल मय्यत से अयाँ हो जाएगा

अब्र अहसनी गनौरी

जब आसमान पर मह-ओ-अख़्तर पलट कर आए

आबिद मुनावरी

फ़सील-ए-जिस्म गिरा दे मकान-ए-जाँ से निकल

अभिषेक शुक्ला

अगर वो बे-अदब है बे-अदब लिख

अब्दुस्समद ’तपिश’

क्या कीजिए रक़म सनद-ए-एहतिशाम-ए-ज़ुल्फ़

अब्दुल्ल्ला ख़ाँ महर लखनवी

गुदाज़-ए-आतिश-ए-ग़म सीं हुई हैं बावली अँखियाँ

अब्दुल वहाब यकरू

जो ये हिन्दोस्ताँ नहीं होता

अब्दुल सलाम

दिल की हालत बयाँ नहीं होती

अब्दुल सलाम

दिल की हालत बयाँ नहीं होती

अब्दुल सलाम

मिरी बात-चीत उस से 'एहसाँ' कहाँ है

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

चश्म-ए-मस्त उस की याद आने लगी

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

ब-वक़्त-ए-बोसा-ए-लब काश ये दिल कामराँ होता

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

पूछी न ख़बर कभी हमारी

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

नीम-चा जल्द म्याँ ही न मियाँ कीजिएगा

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

पुर्सिश है चश्म-ए-अश्क-फ़शाँ पर न आए हर्फ़

अब्दुल मन्नान तरज़ी

मर जाएँगे पिंदार का सौदा न करेंगे

अब्दुल मन्नान तरज़ी

क्या यहाँ देखिए क्या वहाँ देखिए

अब्दुल मन्नान तरज़ी

दिल की पर्वाज़ है ला-मकाँ तक

अब्दुल मन्नान तरज़ी

मिरे दिल में है कि पूछूँ कभी मुर्शिद-ए-मुग़ाँ से

अब्दुल मजीद सालिक

नक़्श-ए-दिल है सितम जुदाई का

अब्दुल ग़फ़ूर नस्साख़

ख़ामोश कली सारे गुलिस्ताँ की ज़बाँ है

अब्दुल अज़ीज़ फ़ितरत

बंद फ़सीलें शहर की तोड़ें ज़ात की गिरहें खोलें

अब्दुल अहद साज़

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