विवेक Poetry (page 3)

रुजूअ बंदा की है इस तरह ख़ुदा की तरफ़

हैदर अली आतिश

ये सोच कर न माइल-ए-फ़रियाद हम हुए

हबीब जालिब

इक शख़्स बा-ज़मीर मिरा यार 'मुसहफ़ी'

हबीब जालिब

दुश्मनों ने जो दुश्मनी की है

हबीब जालिब

ज़िंदगी

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

कुछ बे-तरतीब सितारों को पलकों ने किया तस्ख़ीर तो क्या

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

ख़्वाब कहाँ से टूटा है ताबीर से पूछते हैं

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

जज़्बों को किया ज़ंजीर तो क्या तारों को किया तस्ख़ीर तो क्या

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

मिरे मुद्दआ-ए-उल्फ़त का पयाम बन के आई

ग़ुबार भट्टी

ग़ुरूर-ए-नाज़ दिखा तुझ में कितना जौहर है

ग़ौस मोहम्मद ग़ौसी

अदा हुआ न क़र्ज़ और वजूद ख़त्म हो गया

फ़रियाद आज़र

लहू ने क्या तिरे ख़ंजर को दिलकशी दी है

एज़ाज़ अफ़ज़ल

कल रात कुछ अजीब समाँ ग़म-कदे में था

एहसान दानिश

राज़ है इबरत-असर फ़ितरत की हर तहरीर का

बेबाक भोजपुरी

बड़ी दिल-शिकन है रह-ए-सफ़र कोई हम-सफ़र है न यार है

बेबाक भोजपुरी

मुझे तो इश्क़ में अब ऐश-ओ-ग़म बराबर है

बक़ा उल्लाह 'बक़ा'

चुटकियाँ लेती है गोयाई किसे आवाज़ दूँ

बलराज हयात

ये ग़लत है ऐ दिल-ए-बद-गुमाँ कि वहाँ किसी का गुज़र नहीं

अज़ीज़ लखनवी

हवा आशुफ़्ता-तर रखती है हम आशुफ़्ता-हालों को

अज़ीज़ हामिद मदनी

सफ़र भी जब्र है नाचार करना पड़ता है

अतहर नासिक

किसी ने भेजा है ख़त प्यार और वफ़ा लिख कर

अतीक़ अंज़र

चोब-ए-सहरा भी वहाँ रश्क-ए-समर कहलाए

अता शाद

चोब-ए-सहरा भी वहाँ रश्क-ए-समर कहलाए

अता शाद

हर-चंद बे-नवा है कोरे घड़े का पानी

असलम कोलसरी

नेकी बदी की अब कोई मीज़ान ही नहीं

अशोक साहनी

अब इस से पहले कि दुनिया से मैं गुज़र जाऊँ

अशोक साहिल

लहू रोता है

अशोक लाल

जो इस ज़मीर फ़रोशी के माहेरीन में है

असग़र मेहदी होश

आए थे घर में आग लगाने शरीर लोग

असग़र मेहदी होश

आलाम-ए-रोज़गार को आसाँ बना दिया

असग़र गोंडवी

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