विद्वान Poetry (page 50)

मुझे एहसास ये पल पल रहा है

अब्दुल वहाब सुख़न

करते नहीं जफ़ा भी वो तर्क-ए-वफ़ा के साथ

अब्दुल रहमान ख़ान वासिफ़ी बहराईची

दिलबर ये वो है जिस ने दिल को दग़ा दिया है

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

दिल तो हाज़िर है अगर कीजिए फिर नाज़ से रम्ज़

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

चराग़-ए-ज़िंदगी होगा फ़रोज़ाँ हम नहीं होंगे

अब्दुल मजीद सालिक

ये शबाब-ए-हुस्न ये हुस्न-ए-शबाब

अब्दुल मजीद हैरत

वो अहद-ए-जवानी वो ख़राबात का आलम

अब्दुल हमीद अदम

ख़ुदा ने गढ़ तो दिया आलम-ए-वजूद मगर

अब्दुल हमीद अदम

वो सूरज इतना नज़दीक आ रहा है

अब्दुल हमीद अदम

वो अहद-ए-जवानी वो ख़राबात का आलम

अब्दुल हमीद अदम

खुली वो ज़ुल्फ़ तो पहली हसीन रात हुई

अब्दुल हमीद अदम

जिस वक़्त भी मौज़ूँ सी कोई बात हुई है

अब्दुल हमीद अदम

ऐ साक़ी-ए-मह-वश ग़म-ए-दौराँ नहीं उठता

अब्दुल हमीद अदम

अब दो-आलम से सदा-ए-साज़ आती है मुझे

अब्दुल हमीद अदम

नींदों का एक आलम-ए-असबाब और है

अब्बास ताबिश

अब परिंदों की यहाँ नक़्ल-ए-मकानी कम है

अब्बास ताबिश

एहसास के सूखे पत्ते भी अरमानों की चिंगारी भी

आज़िम कोहली

बहुत अज़ीज़ था आलम वो दिल-फ़िगारी का

आज़िम कोहली

लाख पर्दों में गो निहाँ हम थे

अातिश बहावलपुरी

तुम्हें गिला ही सही हम तमाशा करते हैं

आतिफ़ कमाल राना

सारे आलम में तेरी ख़ुशबू है

आसी ग़ाज़ीपुरी

लहू लहू आरज़ू बदन का लिहाफ़ होगा

आनन्द सरूप अंजुम

क़िस्मत में ख़ुशी जितनी थी हुई और ग़म भी है जितना होना है

आले रज़ा रज़ा

ज़ंजीर से जुनूँ की ख़लिश कम न हो सकी

आल-ए-अहमद सूरूर

लो अँधेरों ने भी अंदाज़ उजालों के लिए

आल-ए-अहमद सूरूर

हर इक जन्नत के रस्ते हो के दोज़ख़ से निकलते हैं

आल-ए-अहमद सूरूर

हमें तो मय-कदे का ये निज़ाम अच्छा नहीं लगता

आल-ए-अहमद सूरूर

निगाहों में इक़रार सारे हुए हैं

आग़ा अकबराबादी

नहीं मुमकिन कि तिरे हुक्म से बाहर मैं हूँ

आग़ा अकबराबादी

दीवाली

आफ़ताब राईस पानीपती

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