आशना Poetry (page 16)
यूँही बैठे रहो बस दर्द-ए-दिल से बे-ख़बर हो कर
असरार-उल-हक़ मजाज़
रह-ए-शौक़ से अब हटा चाहता हूँ
असरार-उल-हक़ मजाज़
आशिक़ी जाँ-फ़ज़ा भी होती है
असरार-उल-हक़ मजाज़
मैं सोचता हूँ कहीं तू ख़फ़ा न हो जाए
असलम फ़र्रुख़ी
ख़ुद अपनी चाल से ना-आश्ना रहे है कोई
असलम इमादी
जिस दिन से यार मुझ से वो शोख़ आश्ना हुआ
आसिफ़ुद्दौला
हम ने क़िस्सा बहुत कहा दिल का
आसिफ़ुद्दौला
आँखों से अपनी 'आसिफ़' तू एहतिराज़ करना
आसिफ़ुद्दौला
पर्दे मिरी निगाह के भी दरमियाँ न थे
अशरफ़ रफ़ी
क़ैद-ए-हस्ती में हूँ अपने फ़र्ज़ की तामील तक
अश्क अमृतसरी
ज़रा ज़रा ही सही आश्ना तो मैं भी हूँ
अशफ़ाक़ हुसैन
अजनबियत थी मगर ख़ामोश इस्तिफ़्सार पर
अशहर हाशमी
कोई छोटा यहाँ कोई बड़ा है
असग़र वेलोरी
तेरे शबाब ने किया मुझ को जुनूँ से आश्ना
असर सहबाई
सज्दे के दाग़ से न हुई आश्ना जबीं
असर सहबाई
लुत्फ़ गुनाह में मिला और न मज़ा सवाब में
असर सहबाई
करम पर भी होता है धोका सितम का
असर लखनवी
ग़ैरों को क्या पड़ी है कि रुस्वा करें मुझे
असअ'द बदायुनी
कहते हैं लोग शहर तो ये भी ख़ुदा का है
असअ'द बदायुनी
क्यूँ किसी रह-रौ से पूछूँ अपनी मंज़िल का पता
आरज़ू लखनवी
ये बोले जो उन को कहा बे-मुरव्वत
अरशद अली ख़ान क़लक़
साफ़ बातों से हो गया मा'लूम
अरशद अली ख़ान क़लक़
पहला सा वो जुनून-ए-मोहब्बत नहीं रहा
अर्श मलसियानी
ज़मीं से ता-ब-फ़लक कोई फ़ासला भी नहीं
आरिफ़ अब्दुल मतीन
सुकून-ए-दिल न मयस्सर हुआ ज़माने में
अनवापुल हसन अनवार
आना भी आने वाले का अफ़्साना हो गया
अनवरी जहाँ बेगम हिजाब
न सह सकूँगा ग़म-ए-ज़ात गो अकेला मैं
अनवर शऊर
उम्र गुज़री है इल्तिजा करते
अनवर साबरी
दौर-ए-हाज़िर हो गया है इस क़दर कम-आश्ना
अनवर साबरी
अता-ए-ग़म पे भी ख़ुश हूँ मिरी ख़ुशी क्या है
अनवर साबरी
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