दर्पण Poetry (page 21)

'क़ुर्रतुल-ऐन-हैदर'

अम्बरीन सलाहुद्दीन

खिड़की

अम्बरीन सलाहुद्दीन

क्यूँ अम्बर की पहनाई में चुप की राह टटोलें

अम्बरीन सलाहुद्दीन

हम सितारों में तिरा अक्स ना ढलने देंगे

अम्बरीन सलाहुद्दीन

चाँद उभरेगा तो फिर हश्र दिखाई देगा

अम्बरीन सलाहुद्दीन

ख़ुशी का लम्हा रेत था सो हाथ से निकल गया

अंबरीन हसीब अंबर

ऐश ही ऐश है न सब ग़म है

अली जव्वाद ज़ैदी

मैं अपने वक़्त में अपनी रिदा में रहता हूँ

अली अकबर अब्बास

जो ख़ुद को पाएँ तो फिर दूसरा तलाश करें

अली अकबर अब्बास

ग़ुबार-ए-नूर है या कहकशाँ है या कुछ और

अली अकबर अब्बास

चले थे भर के रेत जब सफ़र की जिस्म-ओ-जाँ में हम

अलीम अफ़सर

मिरी दस्तरस में है गर क़लम मुझे हुस्न-ए-फ़िक्र-ओ-ख़याल दे

आलमताब तिश्ना

हिसार-ए-मक़्तल-ए-जाँ में लहू लहू मैं था

आलमताब तिश्ना

थपक थपक के जिन्हें हम सुलाते रहते हैं

आलम ख़ुर्शीद

गहरी सूनी राह और तन्हा सा मैं

अकरम नक़्क़ाश

ब-रंग-ए-ख़्वाब मैं बिखरा रहूँगा

अकरम नक़्क़ाश

मंज़िल-ए-ख़्वाब है और महव-ए-सफ़र पानी है

अकरम महमूद

कोई हुनर तो मिरी चश्म-ए-अश्क-बार में है

अकरम महमूद

ज़िंदगी तेरे अजब ठोर-ठिकाने निकले

अकमल इमाम

यादें

अख़्तर-उल-ईमान

ग़म का आहंग है

अख़्तर ज़ियाई

वो जिस का अक्स लहू को जगा दिया करता

अख्तर शुमार

आँसू

अख़्तर शीरानी

तिलिस्म-ए-गुम्बद-ए-बे-दर किसी पे वा न हुआ

अख़्तर होशियारपुरी

शिकारी रात भर बैठे रहे ऊँची मचानों पर

अख़्तर होशियारपुरी

मंज़िलों के फ़ासले दीवार-ओ-दर में रह गए

अख़्तर होशियारपुरी

हर्फ़-ए-बे-आवाज़ से दहका हुआ

अख़्तर होशियारपुरी

दश्त-दर-दश्त अक्स-ए-दर है यहाँ

अख़्तर होशियारपुरी

अपना साया भी न हम-राह सफ़र में रखना

अख़्तर होशियारपुरी

दिल के अरमान दिल को छोड़ गए

अख़्तर अंसारी

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