तरीके Poetry (page 15)

लाग़र इतना हूँ कि गर तू बज़्म में जा दे मुझे

ग़ालिब

कोह के हों बार-ए-ख़ातिर गर सदा हो जाइए

ग़ालिब

जुनूँ की दस्त-गीरी किस से हो गर हो न उर्यानी

ग़ालिब

हुस्न ग़म्ज़े की कशाकश से छुटा मेरे बअ'द

ग़ालिब

हो गई है ग़ैर की शीरीं-बयानी कारगर

ग़ालिब

हरीफ़-ए-मतलब-ए-मुश्किल नहीं फ़ुसून-ए-नियाज़

ग़ालिब

हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है

ग़ालिब

है बस-कि हर इक उन के इशारे में निशाँ और

ग़ालिब

गिला है शौक़ को दिल में भी तंगी-ए-जा का

ग़ालिब

दोस्त ग़म-ख़्वारी में मेरी सई फ़रमावेंगे क्या

ग़ालिब

दिल से तिरी निगाह जिगर तक उतर गई

ग़ालिब

दिल मिरा सोज़-ए-निहाँ से बे-मुहाबा जल गया

ग़ालिब

दिल लगा कर लग गया उन को भी तन्हा बैठना

ग़ालिब

देख कर दर-पर्दा गर्म-ए-दामन-अफ़्शानी मुझे

ग़ालिब

चश्म-ए-ख़ूबाँ ख़ामुशी में भी नवा-पर्दाज़ है

ग़ालिब

बिसात-ए-इज्ज़ में था एक दिल यक क़तरा ख़ूँ वो भी

ग़ालिब

बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे

ग़ालिब

समन-बरों से चमन दौलत-ए-नुमू माँगे

गौहर होशियारपुरी

पर्दा-ए-लुत्फ़ में ये ज़ुल्म-ओ-सितम क्या कहिए

फ़िराक़ गोरखपुरी

मंज़िलें गर्द के मानिंद उड़ी जाती हैं

फ़िराक़ गोरखपुरी

ये मौत-ओ-अदम कौन-ओ-मकाँ और ही कुछ है

फ़िराक़ गोरखपुरी

शाम-ए-ग़म कुछ उस निगाह-ए-नाज़ की बातें करो

फ़िराक़ गोरखपुरी

रात भी नींद भी कहानी भी

फ़िराक़ गोरखपुरी

कोई पैग़ाम-ए-मोहब्बत लब-ए-एजाज़ तो दे

फ़िराक़ गोरखपुरी

जौर-ओ-बे-मेहरी-ए-इग़्माज़ पे क्या रोता है

फ़िराक़ गोरखपुरी

हर नाला तिरे दर्द से अब और ही कुछ है

फ़िराक़ गोरखपुरी

ग़म तिरा जल्वा-गह-ए-कौन-ओ-मकाँ है कि जो था

फ़िराक़ गोरखपुरी

बस्तियाँ ढूँढ रही हैं उन्हें वीरानों में

फ़िराक़ गोरखपुरी

आज भी क़ाफ़िला-ए-इश्क़ रवाँ है कि जो था

फ़िराक़ गोरखपुरी

उन निगाहों को हम-आवाज़ किया है मैं ने

फ़व्वाद अहमद

Collection of Hindi Poetry. Get Best Hindi Shayari, Poems and ghazal. Read shayari Hindi, poetry by famous Hindi and Urdu poets. Share poetry hindi on Facebook, Whatsapp, Twitter and Instagram.