तरीके Poetry (page 20)

इतने नज़दीक से आईने को देखा न करो

अज़ीज़ वारसी

हर जगह आप ने मुम्ताज़ बनाया है मुझे

अज़ीज़ वारसी

उफ़ुक़ के उस पार कर रहा है कोई मिरा इंतिज़ार शायद

अज़ीज़ तमन्नाई

आईने से

अज़ीज़ क़ैसी

न जाने कैसी महरूमी पस-ए-रफ़्तार चलती है

अज़ीज़ नबील

कभी जन्नत कभी दोज़ख़ कभी का'बा कभी दैर

अज़ीज़ लखनवी

आतिश-ए-ख़ामोश

अज़ीज़ लखनवी

वो साअ'त सूरत-ए-चक़माक़ जिस से लौ निकलती है

अज़ीज़ हामिद मदनी

एक-आध हरीफ़-ए-ग़म-ए-दुनिया भी नहीं था

अज़ीज़ हामिद मदनी

मआल-ए-दोस्ती कहिए हदीस-ए-मह-वशाँ कहिए

अज़हर सईद

न जाने शाम ने क्या कह दिया सवेरे से

अज़हर नवाज़

चाक-ए-दामान-ए-क़बा दाग़-ए-जुनूँ-साज़ बहुत

अज़हर नक़वी

वही यकसानियत-ए-शाम-ओ-सहर है कि जो थी

अज़ीम मुर्तज़ा

फ़ुग़ाँ से तर्क-ए-फ़ुग़ाँ तक हज़ार तिश्ना-लबी है

अज़ीम मुर्तज़ा

फ़ित्ना-सामाँ ही नहीं फ़ित्ना-ए-सामाँ निकले

अज़ीम मुर्तज़ा

तू मिला था और मेरे हाल पर रोया भी था

अतहर नफ़ीस

रात वहशत से गुरेज़ाँ था मैं आहू की तरह

अता तुराब

रात और रेल

असरार-उल-हक़ मजाज़

नूरा

असरार-उल-हक़ मजाज़

एक जिला-वतन की वापसी

असरार-उल-हक़ मजाज़

दिल्ली से वापसी

असरार-उल-हक़ मजाज़

आज की रात

असरार-उल-हक़ मजाज़

सारा आलम गोश-बर-आवाज़ है

असरार-उल-हक़ मजाज़

बस इस तक़्सीर पर अपने मुक़द्दर में है मर जाना

असरार-उल-हक़ मजाज़

क़रीब आ के भी इक शख़्स हो सका न मिरा

असलम कोलसरी

हंगामा-ए-हस्ती से गुज़र क्यूँ नहीं जाते

असलम फ़र्रुख़ी

दिल की धड़कन अब रग-ए-जाँ के बहुत नज़दीक है

असलम इमादी

एक समुंदर एक किनारा एक सितारा काफ़ी है

असलम अंसारी

ऐ मुझे 'मीर' के अशआ'र सुनाने वाले

अासिफ़ शफ़ी

पलकों पे इंतिज़ार का मौसम सजा लिया

अशोक साहनी

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