प्रदर्शन Poetry (page 7)

चला-चल मोहलत-ए-आराम क्या है

सबा अकबराबादी

भूल जाना था तो फिर अपना बनाया क्यूँ था

सबा अफ़ग़ानी

क्यूँ न हम सोच के साँचे में ही ढल कर देखें

सादुल्लाह शाह

वही तवील सी राहें सफ़र वही तन्हा

ऋषि पटियालवी

होते हैं ख़त्म अब ये लम्हात ज़िंदगी के

रिफ़अत सेठी

नज्म-ए-सहर

रिफ़अत सरोश

वो दिल कि था कभी सरसब्ज़ खेतियों की तरह

रियाज़ मजीद

हर आने वाले पल से डर रहा हूँ

रज़्ज़ाक़ अरशद

गर्म हर लम्हा लहू जिस्म के अंदर रखना

रासिख़ इरफ़ानी

ठहर जावेद के अरमाँ दिल-ए-मुज़्तर निकलते हैं

रशीद लखनवी

इस सदी का जब कभी ख़त्म-ए-सफ़र देखेंगे लोग

रम्ज़ अज़ीमाबादी

क्या ग़ज़ब है कि मुलाक़ात का इम्काँ भी नहीं

राम कृष्ण मुज़्तर

गर्दिश-ए-जाम भी है रक़्स भी है साज़ भी है

राम कृष्ण मुज़्तर

'नदीम' उन की ज़बाँ पर फिर हमारा नाम है शायद

राज कुमार सूरी नदीम

पहचान कम हुई न शनासाई कम हुई

राही कुरैशी

जूही का पौदा

राही मासूम रज़ा

रस्म-ए-उल्फ़त से है मक़्सूद-ए-वफ़ा हो कि न हो

इरफ़ान अहमद मीर

पाबंद-ए-ग़म-ए-उल्फ़त ही रहे गो दर्द-ए-दहिंदाँ और सही

इरफ़ान अहमद मीर

टुकड़े टुकड़े मिरा दामान-ए-शकेबाई है

इक़बाल हुसैन रिज़वी इक़बाल

वो रश्क-ए-मेहर-ओ-क़मर घात पर नहीं आता

इमदाद अली बहर

है ये मर मिटने का इनआ'म तुम्हें क्या मा'लूम

इफ़्फ़त अब्बास

मिरी नज़र में है अंजाम इस तआक़ुब का

इब्राहीम होश

लोग हिलाल-ए-शाम से बढ़ कर पल में माह-ए-तमाम हुए

इब्न-ए-इंशा

फ़साना अब कोई अंजाम पाना चाहता है

हुमैरा राहत

मैं ने अंजाम से पहले न पलट कर देखा

हीरा लाल फ़लक देहलवी

रौशन है फ़ज़ा शम्स कोई है न क़मर है

हीरा लाल फ़लक देहलवी

आह-ए-ज़िंदाँ में जो की चर्ख़ पे आवाज़ गई

हीरा लाल फ़लक देहलवी

चैन पहलू में उसे सुब्ह नहीं शाम नहीं

हातिम अली मेहर

हुस्न-ए-बे-मेहर को परवा-ए-तमन्ना क्या हो

हसरत मोहानी

और तो पास मिरे हिज्र में क्या रक्खा है

हसरत मोहानी

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