प्रदर्शन Poetry (page 6)

सुब्ह को चैन न हो शाम को आराम न हो

सरवर आलम राज़

बे-कैफ़ जवानी है बे-दर्द ज़माना है

सरवर आलम राज़

जिसे अंजाम तुम समझती हो

सरवत हुसैन

क़सम इस आग और पानी की

सरवत हुसैन

एक नाज़ुक दिल के अंदर हश्र बरपा कर दिया

सरस्वती सरन कैफ़

यूँ अकेला दश्त-ए-ग़ुर्बत में दिल-ए-नाकाम था

साक़िब लखनवी

हर नफ़स इक मुस्तक़िल फ़रियाद है

साक़िब कानपुरी

वस्ल ओ फ़स्ल की हर मंज़िल में शामिल इक मजबूरी थी

सलीम अहमद

हमें तो कल किसी अगले नगर पहुँचना है

सज्जाद बलूच

अपने अंजाम से बे-ख़बर ज़िंदगी

सैलानी सेवते

वफ़ा अंजाम होती जा रही है

सैफ़ुद्दीन सैफ़

कर के मसहूर मुझे चश्म-ए-करम से पहले

सैफ़ बिजनोरी

वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन

साहिर लुधियानवी

नाकामी

साहिर लुधियानवी

ख़ून फिर ख़ून है

साहिर लुधियानवी

ख़ूबसूरत मोड़

साहिर लुधियानवी

फ़रार

साहिर लुधियानवी

अक़ाएद वहम हैं मज़हब ख़याल-ए-ख़ाम है साक़ी

साहिर लुधियानवी

गाँधी

साहिर होशियारपुरी

दर्द-ए-दिल भी कभी लहू होगा

साहिर होशियारपुरी

अस्ल में मौत तो ख़ुशियों की घड़ी है यारो

सहर महमूद

न जाने क्यूँ सदा होता है एक सा अंजाम

सग़ीर मलाल

रातों को तसव्वुर है उन का और चुपके चुपके रोना है

साग़र निज़ामी

उल्टी गंगा

साग़र ख़य्यामी

दीवानगी-ए-इश्क़ पे इल्ज़ाम कुछ भी हो

साग़र ख़य्यामी

दर्द-ए-आग़ाज़-ए-मोहब्बत का अब अंजाम नहीं

सफ़ी लखनवी

जो लब पे न लाऊँ वही शे'रों में कहूँ मैं

सादिक़ नसीम

शाम से पहले तिरी शाम न होने दूँगा

साबिर ज़फ़र

कौन उठाए इश्क़ के अंजाम की जानिब नज़र

सबा अकबराबादी

यगाना बन के हो जाए वो बेगाना तो क्या होगा

सबा अकबराबादी

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