असर Poetry (page 2)

गो मुब्तला-ए-गर्दिश-ए-शाम-ओ-सहर हूँ मैं

ज़ाहिद चौधरी

बरगुज़ीदा हैं हवाओं के असर से हम भी

ज़हीर रहमती

क्या दुआ-ए-फ़र्सूदा हर्फ़-ए-बे-असर माँगूँ

ज़हीर ग़ाज़ीपुरी

किस मुँह से हाथ उठाएँ फ़लक की तरफ़ 'ज़हीर'

ज़हीर देहलवी

रंज राहत-असर न हो जाए

ज़हीर देहलवी

गेसू से अंबरी है सबा और सबा से हम

ज़हीर देहलवी

सहरा का सफ़र था तो शजर क्यूँ नहीं आया

ज़फ़र इक़बाल ज़फ़र

उठ और फिर से रवाना हो डर ज़ियादा नहीं

ज़फ़र इक़बाल

तिरे रास्तों से जभी गुज़र नहीं कर रहा

ज़फ़र इक़बाल

सिमटने की हवस क्या थी बिखरना किस लिए है

ज़फ़र इक़बाल

मेरे अंदर वो मेरे सिवा कौन था

ज़फ़र इक़बाल

मैं ज़र्द आग न पानी के सर्द डर में रहा

ज़फ़र इक़बाल

कुछ उस ने सोचा तो था मगर काम कर दिया था

ज़फ़र इक़बाल

खड़ी है शाम कि ख़्वाब-ए-सफ़र रुका हुआ है

ज़फ़र इक़बाल

देखो तो कुछ ज़ियाँ नहीं खोने के बावजूद

ज़फ़र इक़बाल

पल पल जीने की ख़्वाहिश में कर्ब-ए-शाम-ओ-सहर माँगा

ज़फ़र गोरखपुरी

पल पल जीने की ख़्वाहिश में कर्ब-ए-शाम-ओ-सहर माँगा

ज़फ़र गोरखपुरी

तिरे क़रीब रहूँ या कि मैं सफ़र में रहूँ

ज़फ़र अंसारी ज़फ़र

ज़ख़्मों की मुनाजात में पिन्हाँ वो असर था

युसूफ़ जमाल

आती है फ़ुग़ाँ लब पे मिरे क़ल्ब-ओ-जिगर से

योगेन्द्र बहल तिश्ना

मुसलसल एक ही तस्वीर चश्म-ए-तर में रही

यासमीन हमीद

ढूँढता हक़ को दर-ब-दर है तू

यासीन अली ख़ाँ मरकज़

गर्दिश-ए-मुक़द्दर का सिलसिला जो चल जाए

याक़ूब तसव्वुर

इक ख़ला सा है जिधर देखो इधर कुछ भी नहीं

याक़ूब आमिर

उम्र फ़रियाद में बर्बाद गई कुछ न हुआ

इनामुल्लाह ख़ाँ यक़ीन

यार कब दिल की जराहत पे नज़र करता है

इनामुल्लाह ख़ाँ यक़ीन

कार-ए-दीं उस बुत के हाथों हाए अबतर हो गया

इनामुल्लाह ख़ाँ यक़ीन

वही साक़ी वही साग़र वही शीशा वही बादा

यगाना चंगेज़ी

क़िस्सा किताब-ए-उम्र का क्या मुख़्तसर हुआ

यगाना चंगेज़ी

क़यामत है शब-ए-वादा का इतना मुख़्तसर होना

यगाना चंगेज़ी

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