आवाज Poetry (page 27)

या मह-ओ-साल की दीवार गिरा दी जाए

बशीर अहमद बशीर

इन चटख़्ते पत्थरों पर पाँव धरना ध्यान से

बशीर अहमद बशीर

ऐसा तह-ए-अफ़्लाक ख़राबा नहीं कोई

बशीर अहमद बशीर

बहुत था ख़ौफ़ जिस का फिर वही क़िस्सा निकल आया

बशर नवाज़

कोई सनम तो हो कोई अपना ख़ुदा तो हो

बशर नवाज़

बहुत था ख़ौफ़ जिस का फिर वही क़िस्सा निकल आया

बशर नवाज़

कान पड़ती नहीं आवाज़ कोई

बाक़ी सिद्दीक़ी

दिल की दीवार गिर गई शायद

बाक़ी सिद्दीक़ी

तुम कब थे क़रीब इतने मैं कब दूर रहा हूँ

बाक़ी सिद्दीक़ी

तिरी निगाह का अंदाज़ क्या नज़र आया

बाक़ी सिद्दीक़ी

क्या पता हम को मिला है अपना

बाक़ी सिद्दीक़ी

ख़बर कुछ ऐसी उड़ाई किसी ने गाँव में

बाक़ी सिद्दीक़ी

अपनी धूप में भी कुछ जल

बाक़ी सिद्दीक़ी

रोज़-ए-वहशत है मिरे शहर में वीरानी की

बाक़ी अहमदपुरी

दस्त-ए-नासेह जो मिरे जेब को इस बार लगा

बक़ा उल्लाह 'बक़ा'

चश्म-ए-तर जाम दिल-ए-बादा-कशाँ है शीशा

बक़ा उल्लाह 'बक़ा'

धरती का बोझ

बाक़र मेहदी

सच है या फिर मुग़ालता है मुझे

बलवान सिंह आज़र

आप-बीती ज़रा सुना ऐ दश्त

बलवान सिंह आज़र

सर्द, तारीक रात

बलराज कोमल

एक पुर-असरार सदा

बलराज कोमल

चुटकियाँ लेती है गोयाई किसे आवाज़ दूँ

बलराज हयात

कभी आँखों पे कभी सर पे बिठाए रखना

बख़्श लाइलपूरी

बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी

ज़फ़र

जो झुक के मिलते थे जलसों में मेहरबाँ की तरह

बदनाम नज़र

खड़ा था कौन कहाँ कुछ पता चला ही नहीं

बदीउज़्ज़माँ ख़ावर

वही जिंस-ए-वफ़ा आख़िर फ़राहम होती जाती है

बीएस जैन जौहर

बे-ख़ुदा होने के डर में बे-सबब रोता रहा

अज़रा परवीन

उन्हें मुझ से शिकायत है

अज़रा नक़वी

तुम्हारे आने के ब'अद

अज़रा अब्बास

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