कान पड़ती नहीं आवाज़ कोई
दिल में वो शोर बपा है अपना
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हर नए हादसे पे हैरानी
एक दीवार उठाने के लिए
राज़-ए-सर-बस्ता है महफ़िल तेरी
दिल जिंस-ए-मोहब्बत का ख़रीदार नहीं है
वफ़ा के ज़ख़्म हम धोने न पाए
इस बदलते हुए ज़माने में
वक़्त रस्ते में खड़ा है कि नहीं
दिल में जब बात नहीं रह सकती
पहले हर बात पे हम सोचते थे
तेरे ग़म से तो सुकून मिलता है
अपनी धूप में भी कुछ जल
हर याद हर ख़याल है लफ़्ज़ों का सिलसिला