बात Poetry (page 54)

न कह हक़ में बुज़ुर्गों की कड़ी बात

इमदाद अली बहर

मैं गिला तुम से करूँ ऐ यार किस किस बात का

इमदाद अली बहर

ख़ुर्शीद फ़िराक़ में तपाँ है

इमदाद अली बहर

जाते है ख़ानक़ाह से वाइज़ सलाम है

इमदाद अली बहर

ईफ़ा-ए-व'अदा आप से ऐ यार हो चुका

इमदाद अली बहर

दुपट्टा वो गुलनार दिखला गए

इमदाद अली बहर

आज़ुर्दा हो गया वो ख़रीदार बे-सबब

इमदाद अली बहर

सौ क़िस्सों से बेहतर है कहानी मिरे दिल की

इमाम बख़्श नासिख़

दिल में पोशीदा तप-ए-इश्क़-ए-बुताँ रखते हैं

इमाम बख़्श नासिख़

मौसम सूखा सूखा सा था लेकिन ये क्या बात हुई

इमाम अाज़म

किसी की बात कोई बद-गुमाँ न समझेगा

इमाम अाज़म

मौसम सूखा सूखा सा था लेकिन ये क्या बात हुई

इमाम अाज़म

किसी की बात कोई बद-गुमाँ न समझेगा

इमाम अाज़म

गेसू ओ रुख़्सार की बातें करें

इमाम अाज़म

ये बहार वो है जहाँ रही असर-ए-ख़िज़ाँ से बरी रही

इलियास इश्क़ी

वक़्त वक़्त की बात है या दस्तूर है दुनिया का साईं

इलियास इश्क़ी

सिर्फ़ आज़ार उठाने से कहाँ बनता है

इलियास बाबर आवान

रख़्त-ए-गुरेज़ गाम से आगे की बात है

इलियास बाबर आवान

'राग़िब' वो मेरी फ़िक्र में ख़ुद को भी भूल जाएँ

इफ़्तिख़ार राग़िब

तर्क-ए-तअल्लुक़ात नहीं चाहता था मैं

इफ़्तिख़ार राग़िब

किसी के हक़ में सही फ़ैसला हुआ तो है

इफ़्तिख़ार नसीम

हाथ हाथों में न दे बात ही करता जाए

इफ़्तिख़ार नसीम

कभी कभी तो ये हालत भी की मोहब्बत ने

इफ़्तिख़ार मुग़ल

इक ख़ला, एक ला-इंतिहा और मैं

इफ़्तिख़ार मुग़ल

धुँद

इफ़्तेख़ार जालिब

चूमता पानी, पानी पानी

इफ़्तेख़ार जालिब

तिरे क़रीब रहूँ या कि दूर जाऊँ मैं

इफ़्तिख़ार इमाम सिद्दीक़ी

हर मुश्किल आसान बनाने वाला था

इफ़्तिख़ार फलक काज़मी

उसी को बात न पहुँचे जिसे पहुँचनी हो

इफ़्तिख़ार आरिफ़

तमाम ख़ाना-ब-दोशों में मुश्तरक है ये बात

इफ़्तिख़ार आरिफ़

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