बात Poetry (page 53)

यूँ वफ़ा के सारे निभाओ ग़म कि फ़रेब में भी यक़ीन हो

इन्दिरा वर्मा

तिरे ख़याल का चर्चा तिरे ख़याल की बात

इन्दिरा वर्मा

कुछ बला और कुछ सितम ही सही

इन्दिरा वर्मा

दिल के बेचैन जज़ीरों में उतर जाएगा

इन्दिरा वर्मा

वो एक शख़्स कि बाइस मिरे ज़वाल का था

इनाम-उल-हक़ जावेद

ज़मीं बिछाई यहाँ आसमाँ बुलंद किया

इनाम नदीम

होते होंगे इस दुनिया में अर्श के दा'वेदार बुलंद

इनाम हनफ़ी

जैसा सोचो वैसा मतलब होता है

इनआम आज़मी

दर-ए-उमीद मुक़फ़्फ़ल नहीं हुआ अब तक

इनआम आज़मी

अजब उलझन है जो समझा नहीं हूँ

इम्तियाज़ अली गौहर

कुछ तो ऐ यार इलाज-ए-ग़म-ए-तन्हाई हो

इमरान शनावर

ये ग़लत है ये साल ठीक नहीं

इमरान शमशाद

तुम ने ये माजरा सुना है क्या

इमरान शमशाद

मैं अपने हाल-ए-ज़ार का आईना-दार हूँ

इमरान साग़र

लोगों के सभी फ़लसफ़े झुटला तो गए हम

इमरान हुसैन आज़ाद

ख़ुदा तू इतनी भी महरूमियाँ न तारी रख

इमरान हुसैन आज़ाद

तुझ से इक हाथ क्या मिला लिया है

इमरान आमी

कुछ एहतिमाम न था शाम-ए-ग़म मनाने को

इमरान आमी

इस दश्त से आगे भी कोई दश्त-ए-गुमाँ है

इमरान आमी

हम-साए में शैतान भी रहता है ख़ुदा भी

इमरान आमी

रात चराग़ की महफ़िल में शामिल एक ज़माना था

इमदाद निज़ामी

यूँही उलझी रहने दो क्यूँ आफ़त सर पर लाते हो

इम्दाद इमाम असर

सूली चढ़े जो यार के क़द पर फ़िदा न हो

इम्दाद इमाम असर

शैख़ के हाल पर तअस्सुफ़ है

इम्दाद इमाम असर

झूटे वादों पर तुम्हारी जाएँ क्या

इम्दाद इमाम असर

जो नर्म लहजे में बात करना सिखा गया है

इम्दाद हमदानी

ज़ालिम हमारी आज की ये बात याद रख

इमदाद अली बहर

वस्ल में ज़िक्र ग़ैर का न करो

इमदाद अली बहर

तेरी हर इक बात है नश्तर न छेड़

इमदाद अली बहर

रौशन हज़ार चंद हैं शम्स-ओ-क़मर से आप

इमदाद अली बहर

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