बिहार Poetry (page 46)

इक फ़रामोश कहानी में रहा

अबरार अहमद

कफ़-ए-ख़िज़ाँ पे खिला मैं इस ए'तिबार के साथ

आबिद सयाल

कफ़-ए-ख़िज़ाँ पे खिला मैं इस ए'तिबार के साथ

आबिद सयाल

न हो हयात का हासिल तो बंदगी क्या है

आबिद काज़मी

श्याम गोकुल न जाना कि राधा का जी अब न बंसी की तानों पे लहराएगा

आबिद हशरी

गुलचीं बहार-ए-गुल में न कर मन-ए-सैर-ए-बाग़

अब्दुल्ल्ला ख़ाँ महर लखनवी

पड़े हैं मस्त भी साक़ी अयाग़ के नज़दीक

अब्दुल्ल्ला ख़ाँ महर लखनवी

पाबंद हर जफ़ा पे तुम्हारी वफ़ा के हैं

अब्दुल्ल्ला ख़ाँ महर लखनवी

न पहुँचे छूट कर कुंज-ए-क़फ़स से हम नशेमन तक

अब्दुल्ल्ला ख़ाँ महर लखनवी

मिज़्गाँ ने रोका आँखों में दम इंतिज़ार से

अब्दुल्ल्ला ख़ाँ महर लखनवी

क्या कीजिए रक़म सनद-ए-एहतिशाम-ए-ज़ुल्फ़

अब्दुल्ल्ला ख़ाँ महर लखनवी

याद यूँ होश गँवा बैठी है

अब्दुल्लाह जावेद

गुदाज़-ए-आतिश-ए-ग़म सीं हुई हैं बावली अँखियाँ

अब्दुल वहाब यकरू

फिर आया जाम-ब-कफ़ गुल-एज़ार ऐ वाइज़

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

कैसे रखेंगे सर पे किसी का उधार हम

अब्दुल मतीन नियाज़

हर दिल-फ़रेब चीज़ नज़र का ग़ुबार है

अब्दुल हमीद अदम

सो के जब वो निगार उठता है

अब्दुल हमीद अदम

लहरा के झूम झूम के ला मुस्कुरा के ला

अब्दुल हमीद अदम

हम से चुनाँ-चुनीं न करो हम नशे में हैं

अब्दुल हमीद अदम

हम ने हसरतों के दाग़ आँसुओं से धो लिए

अब्दुल हमीद अदम

हसीन नग़्मा-सराओ! बहार के दिन हैं

अब्दुल हमीद अदम

दरोग़ के इम्तिहाँ-कदे में सदा यही कारोबार होगा

अब्दुल हमीद अदम

छेड़ो तो उस हसीन को छेड़ो जो यार हो

अब्दुल हमीद अदम

बस इस क़दर है ख़ुलासा मिरी कहानी का

अब्दुल हमीद अदम

ग़ुंचे का जवाब हो गया है

अब्दुल अज़ीज़ फ़ितरत

शायद किसी बला का था साया दरख़्त पर

अब्बास ताबिश

इतना आसाँ नहीं मसनद पे बिठाया गया मैं

अब्बास ताबिश

दिल दुखों के हिसार में आया

अब्बास ताबिश

नज़्अ' की सख़्ती बढ़ी उन को पशेमाँ देख कर

अब्बास अली ख़ान बेखुद

थी याद किस दयार की जो आ के यूँ रुला गई

आज़िम कोहली

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