बीमार Poetry (page 11)

दिल और दिल में याद किसी ख़ुश-ख़िराम की

फ़ानी बदायुनी

बे-अजल काम न अपना किसी उनवाँ निकला

फ़ानी बदायुनी

वो ख़ानुमाँ-ख़राब न क्यूँ दर-ब-दर फिरे

फ़ना निज़ामी कानपुरी

मुझ को दुनिया के हर इक ग़म से छुड़ा रक्खा है

फ़ना बुलंदशहरी

जल्वा जो तिरे रुख़ का एहसास में ढल जाए

फ़ना बुलंदशहरी

बे-दम हुए बीमार दवा क्यूँ नहीं देते

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

मिरे हमदम मिरे दोस्त!

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

बे-दम हुए बीमार दवा क्यूँ नहीं देते

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

इश्क़ की आज इंतिहा कर दो

फ़ैसल फेहमी

गुल तिरे मुख की फ़िक्र में बीमार

फ़ाएज़ देहलवी

बीमारी की ख़बर

एहतिशाम हुसैन

पुर-लुत्फ़ सुकूँ-बख़्श हवाएँ भी बहुत थीं

डॉक्टर आज़म

मौसीक़ी से इलाज

दिलावर फ़िगार

ज़हर बीमार को मुर्दे को दवा दी जाए

दिलावर फ़िगार

मुट्ठी में दो-चार नहीं

दीपक शर्मा दीप

मिरा अहवाल चश्म-ए-यार सूँ पूछ

दाऊद औरंगाबादी

अब तो बीमार-ए-मोहब्बत तेरे

दाग़ देहलवी

क़रीने से अजब आरास्ता क़ातिल की महफ़िल है

दाग़ देहलवी

पुकारती है ख़मोशी मिरी फ़ुग़ाँ की तरह

दाग़ देहलवी

होश आते ही हसीनों को क़यामत आई

दाग़ देहलवी

दिल मुब्तला-ए-लज़्ज़त-ए-आज़ार ही रहा

दाग़ देहलवी

जब कभी नाम-ए-मोहम्मद लब पे मेरे आए है

बिस्मिल अज़ीमाबादी

अब रहा क्या है जो अब आए हैं आने वाले

बिस्मिल अज़ीमाबादी

अब दम-ब-ख़ुद हैं नब्ज़ की रफ़्तार देख कर

बिस्मिल अज़ीमाबादी

उन से कह दो कि इलाज-ए-दिल-ए-शैदा न करें

बिस्मिल इलाहाबादी

न रहे तुम जो हमारे तो सहारा न रहा

बिस्मिल इलाहाबादी

जो न करना था किया जो कुछ न होना था हुआ

बिस्मिल इलाहाबादी

जीने वाला ये समझता नहीं सौदाई है

बिस्मिल इलाहाबादी

रिश्तों के जब तार उलझने लगते हैं

भारत भूषण पन्त

लाख टकराते फिरें हम सर दर-ओ-दीवार से

भारत भूषण पन्त

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