बीमार Poetry (page 9)

बोसा लिया जो चश्म का बीमार हो गए

हैरत इलाहाबादी

यार को मैं ने मुझे यार ने सोने न दिया

हैदर अली आतिश

वही चितवन की ख़ूँ-ख़्वारी जो आगे थी सो अब भी है

हैदर अली आतिश

तुर्रा उसे जो हुस्न-ए-दिल-आज़ार ने किया

हैदर अली आतिश

ना-फ़हमी अपनी पर्दा है दीदार के लिए

हैदर अली आतिश

ख़्वाहाँ तिरे हर रंग में ऐ यार हमीं थे

हैदर अली आतिश

ग़म नहीं गो ऐ फ़लक रुत्बा है मुझ को ख़ार का

हैदर अली आतिश

आश्ना गोश से उस गुल के सुख़न है किस का

हैदर अली आतिश

आशिक़ हूँ मैं नफ़रत है मिरे रंग को रू से

हैदर अली आतिश

आइना सीना-ए-साहब-नज़राँ है कि जो था

हैदर अली आतिश

वस्ल में आपस की हुज्जत और है

हफ़ीज़ जौनपुरी

पी हम ने बहुत शराब तौबा

हफ़ीज़ जौनपुरी

मिज़्गाँ हैं ग़ज़ब अबरू-ए-ख़म-दार के आगे

हफ़ीज़ जौनपुरी

ख़ुद-ब-ख़ुद आँख बदल कर ये सवाल अच्छा है

हफ़ीज़ जौनपुरी

ख़ुद-बख़ुद आँख बदल कर ये सवाल अच्छा है

हफ़ीज़ जौनपुरी

करना जो मोहब्बत का इक़रार समझ लेना

हफ़ीज़ जौनपुरी

इधर होते होते उधर होते होते

हफ़ीज़ जौनपुरी

जल्वा-ए-हुस्न को महरूम-ए-तमाशाई कर

हफ़ीज़ जालंधरी

हुस्न ने सीखीं ग़रीब-आज़ारियाँ

हफ़ीज़ जालंधरी

कॉफ़ी-हाउस

हबीब जालिब

जफ़ा-ए-दिल-शिकन

ग़ुलाम दस्तगीर मुबीन

नहीं बचता है बीमार-ए-मोहब्बत

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

तकल्लुम जो कोई करता है फ़ानी

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

लब-ए-जाँ-बख़्श पे दम अपना फ़ना होता है

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

उल्फ़त का दर्द-ए-ग़म का परस्तार कौन है

गोविन्द गुलशन

शख़्सियत उस ने चमक-दार बना रक्खी है

गोविन्द गुलशन

हर घड़ी बीमार हो कर रह गई

गोपाल कृष्णा शफ़क़

मुझ को ग़रीब और क़रज़-दार देख कर

ग़ुलाम मोहम्मद वामिक़

हो जुदा ऐ चारा-गर है मुझ को आज़ार-ए-फ़िराक़

ग़ुलाम मौला क़लक़

बैठे हैं ईद को सब यार बग़ल में ले कर

ग़ज़नफ़र अली ग़ज़नफ़र

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