बीमार Poetry (page 7)

ख़्वाब-फ़रोश

रज़ी रज़ीउद्दीन

ख़्वाबों की इक भीड़ लगी है जिस्म बेचारा नींद में है

राज़ी अख्तर शौक़

ये बात तिरी चश्म-ए-फुसूँ-कार ही समझे

रज़ा जौनपुरी

मौत भी आती नहीं हिज्र के बीमारों को

रज़ा अज़ीमाबादी

उम्र-ए-अबद से ख़िज़्र को बे-ज़ार देख कर

रविश सिद्दीक़ी

देख उफ़ुक़ के पीले-पन में दूर वो मंज़र डूब गया

रौनक़ रज़ा

घर से निकल के आए हैं बाज़ार के लिए

रसूल साक़ी

अपने बीमार सितारे का मुदावा होती

राशिद तराज़

छुट गए हम जो असीर-ए-ग़म-ए-हिज्राँ हो कर

रशीद रामपुरी

दम-भर की ख़ुशी बाइस-ए-आज़ार भी होगी

रशीद क़ैसरानी

सिर्फ़ बच्चे ही नहीं शोर मचाने आते

रम्ज़ी असीम

ज़िंदाँ में भी वही लब-ओ-रुख़्सार देखते

राम रियाज़

क्या ग़ज़ब है कि मुलाक़ात का इम्काँ भी नहीं

राम कृष्ण मुज़्तर

शौक़ की हद को अभी पार किया जाना है

राजेश रेड्डी

बखेड़े

राज नारायण राज़

सफ़र में कोई रुकावट नहीं गदा के लिए

रईस अमरोहवी

अब के बिखरा तो मैं यकजा नहीं हो पाऊँगा

राहुल झा

दिल है अपना न अब जिगर दर-पेश

रहमान जामी

शाम-ए-ग़म बीमार के दिल पर वो बन आई कि बस

राही शहाबी

दिल की बर्बादी के आसार अभी बाक़ी हैं

राही शहाबी

अब इलाज-ए-दिल-ए-बीमार-ए-सहर हो कि न हो

इक़बाल उमर

कौन है मेरा ख़रीदार नहीं देखता मैं

इनआम आज़मी

जो चला आता है ख़्वाबों की तरफ़-दारी को

इनआम आज़मी

अपनी जाँ-बाज़ी का जिस दम इम्तिहाँ हो जाएगा

इम्दाद इमाम असर

शोर है उस सब्ज़ा-ए-रुख़्सार का

इमदाद अली बहर

सैर उस सब्ज़ा-ए-आरिज़ की है दुश्वार बहुत

इमदाद अली बहर

मैं उस बुत का वस्ल ऐ ख़ुदा चाहता हूँ

इमदाद अली बहर

ईफ़ा-ए-व'अदा आप से ऐ यार हो चुका

इमदाद अली बहर

दोस्तो दिल कहीं ज़िन्हार न आने पाए

इमदाद अली बहर

आज़ुर्दा हो गया वो ख़रीदार बे-सबब

इमदाद अली बहर

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