बीमार Poetry (page 8)

यारों की हम से दिल-शिकनी हो सके कहाँ

इमाम बख़्श नासिख़

है मोहब्बत सब को उस के अबरू-ए-ख़मदार की

इमाम बख़्श नासिख़

इश्क़ करता हूँ, तक़ाज़ा नहीं कर सकता मैं

इलियास बाबर आवान

इंकार ही कर दीजिए इक़रार नहीं तो

इफ़्तिख़ार राग़िब

इंकार ही कर दीजिए इक़रार नहीं तो

इफ़्तिख़ार राग़िब

आन के इस बीमार को देखे तुझ को भी तौफ़ीक़ हुई

इब्न-ए-इंशा

ऐ मतवालो! नाक़ों वालो!!

इब्न-ए-इंशा

देख हमारी दीद के कारन कैसा क़ाबिल-ए-दीद हुआ

इब्न-ए-इंशा

वो ये कहते हैं ज़माने की तमन्ना मैं हूँ

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

हाल बीमार का पूछो तो शिफ़ा मिलती है

हीरा लाल फ़लक देहलवी

करते हैं शौक़-ए-दीद में बातें हवा से हम

हातिम अली मेहर

चैन पहलू में उसे सुब्ह नहीं शाम नहीं

हातिम अली मेहर

ब-ख़ुदा हैं तिरी हिन्दू बुत-ए-मय-ख़्वार आँखें

हातिम अली मेहर

ताबाँ जो नूर-ए-हुस्न ब-सिमा-ए-इश्क़ है

हसरत मोहानी

और भी हो गए बेगाना वो ग़फ़लत कर के

हसरत मोहानी

यार इब्तिदा-ए-इश्क़ से बे-ज़ार ही रहा

हसरत अज़ीमाबादी

या इलाही मिरा दिलदार सलामत बाशद

हसरत अज़ीमाबादी

चाहे सो हमें कर तू गुनहगार हैं तेरे

हसरत अज़ीमाबादी

मेरी संजीदा तबीअत पे भी शक है सब को

हसीब सोज़

ख़ुद को इतना जो हवा-दार समझ रक्खा है

हसीब सोज़

जादू-ए-ख़्वाब में कुछ ऐसे गिरफ़्तार हुए

हसन नईम

हुस्न जब मक़्तल की जानिब तेग़-ए-बुर्राँ ले चला

हसन बरेलवी

जलती हुई रुतों के ख़रीदार कौन हैं

हसन अख्तर जलील

आज भी तेरी ही सूरत है मुक़ाबिल मेरे

हसन अकबर कमाल

गुल हुए चाक-गरेबाँ सर-ए-गुलज़ार ऐ दिल

हसन आबिद

या उस से जवाब-ए-ख़त लाना या क़ासिद इतना कह देना

हक़ीर

ऐ यास जो तू दिल में आई सब कुछ हुआ पर कुछ भी न हुआ

हक़ीर

आह-ओ-फ़रियाद से मा'मूर चमन है कि जो था

हनीफ़ फ़ौक़

हाल-ए-दिल-ए-बीमार समझ में चारागरों की आए कम

हनीफ़ अख़गर

मरीज़-ए-इश्क़ की जुज़-मर्ग दुनिया में दवा क्यूँ हो

हकीम मोहम्मद अजमल ख़ाँ शैदा

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