भागो Poetry (page 13)

वो मिरे शहर में आता है चला जाता है

हाशिम रज़ा जलालपुरी

हवा के रुख़ पर चराग़-ए-उल्फ़त की लौ बढ़ा कर चला गया है

हसन रिज़वी

रूह का लम्बा सफ़र है एक भी इंसाँ का क़ुर्ब

हसन नईम

यही तो ग़म है वो शाइ'र न वो सियाना था

हसन नईम

पैकर-ए-नाज़ पे जब मौज-ए-हया चलती थी

हसन नईम

लुत्फ़-ए-आग़ाज़ मिला लज़्ज़त-ए-अंजाम के बा'द

हसन नईम

कू-ए-रुसवाई से उठ कर दार तक तन्हा गया

हसन नईम

दिल को जानाँ से 'हसन' समझा-बुझा के लाए थे

हसन बरेलवी

हुस्न जब मक़्तल की जानिब तेग़-ए-बुर्राँ ले चला

हसन बरेलवी

हुस्न जब मक़्तल की जानिब तेग़-ए-बुर्राँ ले चला

हसन बरेलवी

सीने में चराग़ जल रहा है

हसन अख्तर जलील

दिल की तरफ़ निगाह-ए-तग़ाफ़ुल रहा करे

हसन अख्तर जलील

मुझ को मालूम था इक रोज़ चला जाएगा!

हसन अब्बासी

ख़्वाब अपने मिरी आँखों के हवाले कर के

हसन अब्बासी

छाजों बरसती बारिश के बाद

हसन अब्बास रज़ा

घर लौटते हैं जब भी कोई यार गँवा कर

हसन अब्बास रज़ा

क्या कहिए

हारिस ख़लीक़

हर ज़र्रा है जमाल की दुनिया लिए हुए

हेंसन रेहानी

उल्टा चक्कर

हमीदा शाहीन

फिर किसी याद का दरवाज़ा खुला आहिस्ता

हमीद अलमास

कर्ब वहशत उलझनें और इतनी तन्हाई कि बस

हमदुन उसमानी

चर्चा हमारा इश्क़ ने क्यूँ जा-ब-जा किया

हकीम मोहम्मद अजमल ख़ाँ शैदा

बे-सूद एक सिलसिला-ए-इम्तिहाँ न खोल

हकीम मंज़ूर

अपना ही हाल तक न खुला मुझ को ता-ब-मर्ग

हैरत इलाहाबादी

ना-फ़हमी अपनी पर्दा है दीदार के लिए

हैदर अली आतिश

बरगश्ता-तालई का तमाशा दिखाऊँ मैं

हैदर अली आतिश

पत्थर में फ़न के फूल खिला कर चला गया

हफ़ीज़ ताईब

मिरे बुत-ख़ाने से हो कर चला जा काबे को ज़ाहिद

हफ़ीज़ जौनपुरी

यही मसअला है जो ज़ाहिदो तो मुझे कुछ इस में कलाम है

हफ़ीज़ जौनपुरी

शब-ए-विसाल ये कहते हैं वो सुना के मुझे

हफ़ीज़ जौनपुरी

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