चेहरा Poetry (page 27)

क्यूँ आँखें बंद कर के रस्ते में चल रहा हूँ

आलम ख़ुर्शीद

हैरत से देखता हुआ चेहरा किया मुझे

अकरम नक़्क़ाश

बाज़-आमद --- एक मुन्ताज

अख़्तर-उल-ईमान

दिन ढला शब हुई चराग़ जले

अख़्तर ज़ियाई

वक़्त बे-रहम है मक़्तल की ज़मीनों जैसा

अख़तर शाहजहाँपुरी

लम्हा लम्हा यही सोचूँ यही देखा चाहूँ

अख़तर शाहजहाँपुरी

जो पलकों पर मिरी ठहरा हुआ है

अख़तर शाहजहाँपुरी

आ कि मैं देख लूँ खोया हुआ चेहरा अपना

अख़्तर सईद ख़ान

ज़िंदगी क्या हुए वो अपने ज़माने वाले

अख़्तर सईद ख़ान

जो भी मिल जाता है घर-बार को दे देता हूँ

अख़्तर नज़्मी

हर शाख़-ए-चमन है अफ़्सुर्दा हर फूल का चेहरा पज़मुर्दा

अख़तर मुस्लिमी

न समझ सकी जो दुनिया ये ज़बान-ए-बे-ज़बानी

अख़तर मुस्लिमी

किसी का चेहरा किसी पर सजा नहीं देता

अख्तर लख़नवी

दिल वो प्यासा है कि दरिया का तमाशा देखे

अख़तर इमाम रिज़वी

तपिश गुलज़ार तक पहुँची लहू दीवार तक आया

अख़्तर हुसैन जाफ़री

वो जो दीवार-ए-आश्नाई थी

अख़्तर होशियारपुरी

तूफ़ाँ से क़र्या क़र्या एक हुए

अख़्तर होशियारपुरी

पहले तो सोच के दोज़ख़ में जलाता है मुझे

अख़्तर होशियारपुरी

क्या पूछते हो मुझ से कि मैं किस नगर का था

अख़्तर होशियारपुरी

ख़्वाहिशें इतनी बढ़ीं इंसान आधा रह गया

अख़्तर होशियारपुरी

नफ़रतों से चेहरा चेहरा गर्द था

अख़्तर फ़िरोज़

वहम ही होगा मगर रोज़ कहाँ होता है

अखिलेश तिवारी

न अपना नाम न चेहरा बदल के आया हूँ

अकबर मासूम

मुबहम थे सब नुक़ूश नक़ाबों की धुँद में

अकबर हैदराबादी

हर्फ़-ए-यक़ीं

अकबर हैदराबादी

कुल आलम-ए-वुजूद कि इक दश्त-ए-नूर था

अकबर हैदराबादी

जब भी मिलता हूँ वही चेहरा लिए

अजमल अजमली

हर घड़ी रहता है अब ख़दशा मुझे

अजमल अजमली

वो हर्फ़ हर्फ़ मुकम्मल किताब कर देगा

अजीत सिंह हसरत

मैं हँस रहा था गरचे मिरे दिल में दर्द था

ऐश बर्नी

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