मुबहम थे सब नुक़ूश नक़ाबों की धुँद में
चेहरा इक और भी पस-ए-चेहरा ज़रूर था
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Anwar Masood
Javed Akhtar
Gulzar
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Rahat Indori
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
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दूर तक बस इक धुँदलका गर्द-ए-तन्हाई का था
रुत बदली तो ज़मीं के चेहरे का ग़ाज़ा भी बदला
अता हुई किसे सनद नज़र नज़र की बात है
दुनिया कभी हो सकी न हमराज़ मिरी
लबों पर तबस्सुम तो आँखों में आँसू थी धूप एक पल में तो इक पल में बारिश
बर्बाद सुकून-दर-ओ-दीवार न हो
वो पास हो के दूर है तो दूर हो के पास
अजल सराए तीरगी
हिम्मत वाले पल में बदल देते हैं दुनिया को
हर शय ब हर अंदाज़ अलग होती है
जाना-पहचाना अजनबी
बे-साल-ओ-सिन ज़मानों में फैले हुए हैं हम