हर शय ब हर अंदाज़ अलग होती है
हर फ़िक्र की पर्वाज़ अलग होती है
हर अहद को देख उस के पस-मंज़र में
हर अहद की आवाज़ अलग होती है
Habib Jalib
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Wasi Shah
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Gulzar
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निगह-ए-शौक़ से हुस्न-ए-गुल-ओ-गुलज़ार तो देख
मुश्किल ही से कर लेती है दुनिया उसे क़ुबूल
बर्बाद सुकून-दर-ओ-दीवार न हो
ये कौन मेरी तिश्नगी बढ़ा बढ़ा के चल दिया
दहकते कुछ ख़याल हैं अजीब अजीब से
रस्ते ही में हो जाती हैं बातें बस दो-चार
बे-साल-ओ-सिन ज़मानों में फैले हुए हैं हम
सच्चा दिया
दिल दबा जाता है कितना आज ग़म के बार से
मंजधार में हूँ पास किनारा भी नहीं
वारिस
लबों पर तबस्सुम तो आँखों में आँसू थी धूप एक पल में तो इक पल में बारिश