प्रार्थना Poetry (page 28)

करम उन का ख़ुद है बढ़ कर मिरी हद्द-ए-इल्तिजा से

आरज़ू लखनवी

माँगने से क़ज़ा नहीं मिलती

अरुण कुमार आर्य

फ़लसफ़ी किस लिए इल्ज़ाम-ए-फ़ना देता है

अर्शी भोपाली

कोई नहीं है इंतिज़ार सुब्ह-ए-विसाल के सिवा

अरशद लतीफ़

आँखों में ख़्वाब रख दिए ता'बीर छीन ली

अरशद जमाल हश्मी

वा'दा-ख़िलाफ़ कितने हैं ऐ रश्क-ए-माह आप

अरशद अली ख़ान क़लक़

साफ़ बातों से हो गया मा'लूम

अरशद अली ख़ान क़लक़

मुझ को तक़दीर ने यूँ बे-सर-ओ-आसार किया

अरशद अब्दुल हमीद

ज़ंजीर से उठती है सदा सहमी हुई सी

अर्श सिद्दीक़ी

पहला सा वो जुनून-ए-मोहब्बत नहीं रहा

अर्श मलसियानी

हर किसी के लिए दुआ करना

आरिफ़ इशतियाक़

अब तिरे हिज्र में यूँ उम्र बसर होती है

अनवापुल हसन अनवार

उस की अना के बुत को बड़ा कर के देखते

अनवर सदीद

सफ़ीना ले गए मौजों की गर्म-जोशी में

अनवर सदीद

रहते हुए क़रीब जुदा हो गए हो तुम

अनवर साबरी

वादा-ए-शाम-ए-फ़र्दा पे ऐ दिल मुझे गर यक़ीं ही न आए तो मैं क्या करूँ

अनवर मिर्ज़ापुरी

मैं तो समझा था जिस वक़्त मुझ को वो मिलेंगे तो जन्नत मिलेगी

अनवर मिर्ज़ापुरी

इस इब्तिदा की सलीक़े से इंतिहा करते

अनवर मसूद

दर्द बढ़ता ही रहे ऐसी दवा दे जाओ

अनवर मसूद

हो रहा है टुकड़े टुकड़े दिल मेरे ग़म-ख़्वार का

अनवर देहलवी

अब अपना हाल हम उन्हें तहरीर कर चुके

अनवर देहलवी

आँखें दिखाईं ग़ैर को मेरी ख़ता के साथ

अनवर देहलवी

जो हो सका न मिरा उस को भूल जाऊँ मैं

अनवर महमूद खालिद

जो हो सका न मिरा उस को भूल जाऊँ मैं

अनवर महमूद खालिद

बा-वफ़ा हूँ मिरी ख़ता है ये

अंजुम सिद्दीक़ी

माँ की दुआ न बाप की शफ़क़त का साया है

अंजुम सलीमी

तन्हाई का सफ़रनामा

अंजुम सलीमी

ख़ुद अपने हाथ से क्या क्या हुआ नहीं मिरे साथ

अंजुम सलीमी

दिन ले के जाऊँ साथ उसे शाम कर के आऊँ

अंजुम सलीमी

चराग़ हाथ में हो तो हवा मुसीबत है

अंजुम सलीमी

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