दोस्त Poetry (page 15)

मौज-ए-बला में रोज़ कोई डूबता रहे

इक़बाल कैफ़ी

ज़ब्त भी चाहिए ज़र्फ़ भी चाहिए और मोहतात पास-ए-वफ़ा चाहिए

इक़बाल अज़ीम

जिला

इंजिला हमेश

वो आते-जाते इधर देखता ज़रा सा है

इनाम कबीर

जिस क़दर भी हवा है ख़ाली है

इनाम कबीर

तसव्वुरात में वो ज़ूम कर रहा था मुझे

इनआम आज़मी

कौन है मेरा ख़रीदार नहीं देखता मैं

इनआम आज़मी

कौन है मेरा ख़रीदार नहीं देखता मैं

इनआम आज़मी

जिस तरफ़ देखिए बाज़ार उदासी का है

इनआम आज़मी

अपने हिस्से में ही आने थे ख़सारे सारे

इमरान-उल-हक़ चौहान

दोस्ती की तुम ने दुश्मन से अजब तुम दोस्त हो

इम्दाद इमाम असर

ग़म नहीं मुझ को जो वक़्त-ए-इम्तिहाँ मारा गया

इम्दाद इमाम असर

वक़्त-ए-आख़िर हमें दीदार दिखाया न गया

इमदाद अली बहर

बशर रोज़-ए-अज़ल से शेफ़्ता है शान-ओ-शौकत का

इमदाद अली बहर

रिफ़अत कभी किसी की गवारा यहाँ नहीं

इमाम बख़्श नासिख़

है मोहब्बत सब को उस के अबरू-ए-ख़मदार की

इमाम बख़्श नासिख़

चेहरे पर ख़ुश-हाली ले कर आता हूँ

इलियास बाबर आवान

पहले तो आती थीं ईदें भी तुम्हारे आए

इकराम आज़म

दिल है और ख़ुद नगरी ज़ौक़-ए-दुआ जिस को कहें

इज्तिबा रिज़वी

इस क़दर भी तो न जज़्बात पे क़ाबू रक्खो

इफ़्तिख़ार नसीम

दोस्त क्या ख़ुद को भी पुर्सिश की इजाज़त नहीं दी

इफ़्तिख़ार आरिफ़

तमाम दोस्त अलाव के गिर्द जम्अ थे और

इदरीस बाबर

मैं जानता हूँ ये मुमकिन नहीं मगर ऐ दोस्त

इदरीस बाबर

हाथ दुनिया का भी है दिल की ख़राबी में बहुत

इदरीस बाबर

वो गुल वो ख़्वाब-शार भी नहीं रहा

इदरीस बाबर

रब्त असीरों को अभी उस गुल-ए-तर से कम है

इदरीस बाबर

मैं कुछ दिनों में उसे छोड़ जाने वाला था

इदरीस बाबर

किसी के हाथ कहाँ ये ख़ज़ाना आता है

इदरीस बाबर

ख़मोश रह के ज़वाल-ए-सुख़न का ग़म किए जाएँ

इदरीस बाबर

इस से फूलों वाले भी आजिज़ आ गए हैं

इदरीस बाबर

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