दुख Poetry (page 3)

गर्द-आलूद दरीदा चेहरा यूँ है माह ओ साल के ब'अद

तौसीफ़ तबस्सुम

फूल मुरझा जाएँगे काँटे लगे रह जाएँगे

तसनीम आबिदी

करते हुए तवाफ़ ख़यालात-ए-यार मैं

तरकश प्रदीप

उस के बदन का लम्स अभी उँगलियों में है

तारिक़ जामी

अब नए रुख़ से हक़ाएक़ को उलट कर देखो

तारिक़ बट

हमारे वास्ते हर आरज़ू काँटों की माला है

तनवीर नक़वी

चार साल बा'द

तनवीर अंजुम

आज़ादी से नींदों तक

तनवीर अंजुम

ग़म-ए-जहाँ में ग़म-ए-यार ज़म न कर पाया

तालिब हुसैन तालिब

मेरा आईना मिरी शक्ल दिखाता है मुझे

तालिब चकवाली

ज़ख़्म कब का था दर्द उठा है अब

ताजदार आदिल

ज़ख़्म कब का था दर्द उठा है अब

ताजदार आदिल

बंद दरीचों के कमरे से पूर्वा यूँ टकराई है

ताज सईद

पराई आग पे रोटी नहीं बनाऊँगा

तहज़ीब हाफ़ी

किसे ख़बर है कि उम्र बस उस पे ग़ौर करने में कट रही है

तहज़ीब हाफ़ी

अजीब ख़्वाब था उस के बदन में काई थी

तहज़ीब हाफ़ी

ख़्वाब डसते रहे बिखरते रहे

ताहिरा जबीन तारा

मिरे लबों पे उसी आदमी की प्यास न हो

ताहिर फ़राज़

बे-घरी

ताबिश कमाल

है आरज़ू ये जी में उस की गली में जावें

ताबाँ अब्दुल हई

दिलबर से दर्द-ए-दिल न कहूँ हाए कब तलक

ताबाँ अब्दुल हई

रेज़ा रेज़ा जैसे कोई टूट गया है मेरे अंदर

सय्यद शकील दस्नवी

छोटी सी ये बात सही पर खींचे है ये तूल मियाँ

सय्यद शकील दस्नवी

कही बात उस ने भी ख़दशात की

सय्यद सग़ीर सफ़ी

यूँ तो वो दर्द-आश्ना भी हैं

सय्यद नवाब हैदर नक़वी

ज़्याबतीस के मरीज़

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

मेरी उम्र में बहुत से वक़्त नहीं आए

सय्यद काशिफ़ रज़ा

मैं एक आँसू इकट्ठा कर रहा हूँ

सय्यद काशिफ़ रज़ा

एक मुजस्समे की ज़ियारत

सय्यद काशिफ़ रज़ा

पहलू-ए-ग़ैर में दुख-दर्द समोने न दिया

सय्यद काशिफ़ रज़ा

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