फ़लक Poetry (page 20)

न छोड़ी ग़म ने मिरे इक जिगर में ख़ून की बूँद

ऐश देहलवी

जो होता आह तिरी आह-ए-बे-असर में असर

ऐश देहलवी

आशिक़ों को ऐ फ़लक देवेगा तू आज़ार क्या

ऐश देहलवी

इक परिंदा शाख़ पर बैठा हुआ

ऐन इरफ़ान

मुझे ख़बर नहीं ग़म क्या है और ख़ुशी क्या है

अहसन मारहरवी

जो जो शुऊर-ए-ज़ेहन पे आता चला गया

अहसन लखनवी

इल्म की ज़रूरत

अहमक़ फफूँदवी

पाताल ज़मीन आसमान

अहमद ज़फ़र

वो फूल जो मुस्कुरा रहा है

अहमद ज़फ़र

फूलों में एक रंग है आँखों के नीर का

अहमद शनास

इमरोज़ की कश्ती को डुबोने के लिए हूँ

अहमद शनास

ख़ाक देखी है शफ़क़-ज़ार फ़लक देखा है

अहमद रिज़वान

जी चाहता है फ़लक पे जाऊँ

अहमद नदीम क़ासमी

दस्त-ए-सुमूम दस्त-ए-सबा क्यूँ नहीं हुआ

अहमद मुश्ताक़

ज़ख़्म खाना ही जब मुक़द्दर हो

अहमद महफ़ूज़

मैं वहशत-ओ-जुनूँ में तमाशा नहीं बना

अहमद ख़याल

तन्हाई से बचाव की सूरत नहीं करूँ

अहमद कमाल परवाज़ी

वो पारा हूँ मैं जो आग में हूँ वो बर्क़ हूँ जो सहाब में हूँ

अहमद हुसैन माइल

शब-ए-माह में जो पलंग पर मिरे साथ सोए तो क्या हुए

अहमद हुसैन माइल

दोस्ती का हाथ

अहमद फ़राज़

सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं

अहमद फ़राज़

सू-ए-फ़लक न जानिब-ए-महताब देखना

अहमद फ़राज़

हवा के ज़ोर से पिंदार-ए-बाम-ओ-दर भी गया

अहमद फ़राज़

चारागरों ने बाँध दिया मुझ को बख़्त से

अहमद फ़क़ीह

तिरी हवस में जो दिल से पूछा निकल के घर से किधर को चलिए

आग़ा हज्जू शरफ़

आग लगा दी पहले गुलों ने बाग़ में वो शादाबी की

आग़ा हज्जू शरफ़

मिटते हुए नुक़ूश-ए-वफ़ा को उभारिए

अफ़ज़ल मिनहास

मैं ख़ुद को इस लिए मंज़र पे लाने वाला नहीं

अफ़ज़ल गौहर राव

हर नग़मा-ए-पुर-दर्द हर इक साज़ से पहले

अफ़ज़ल इलाहाबादी

ग़मों की धूप में मिलते हैं साएबाँ बन कर

अफ़ज़ल इलाहाबादी

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