फ़लक Poetry (page 3)

नूर-जहाँ का मज़ार

तिलोकचंद महरूम

बाइस-ए-इम्बिसात हो आमद-ए-नौ-बहार क्या

तिलोकचंद महरूम

गर्द-आलूद दरीदा चेहरा यूँ है माह ओ साल के ब'अद

तौसीफ़ तबस्सुम

तेरी वफ़ा का हम को गुमाँ इस क़दर हुआ

तासीर सिद्दीक़ी

लगा के ग़ोता समुंदर में तुम गुहर ढूँडो

तासीर सिद्दीक़ी

अभी तो आँखों में ना-दीदा ख़्वाब बाक़ी हैं

तनवीर अहमद अल्वी

क्या शय है खींच लेती है शब को सर-ए-फ़लक

तफ़ज़ील अहमद

मेहवर पे भी गर्दिश मिरी मेहवर से अलग हो

तफ़ज़ील अहमद

लब-ए-मंतिक़ रहे कोई न चश्म-लन-तरानी हो

तफ़ज़ील अहमद

ख़ामोश भी रह जाए और इज़हार भी कर दे

तफ़ज़ील अहमद

इक परेशानी अलग थी और पशेमानी अलग

तफ़ज़ील अहमद

मिट गए हाए मकीं और मकान-ए-देहली

तफ़ज़्ज़ुल हुसैन ख़ान कौकब देहलवी

कब खुलेगा कि फ़लक पार से आगे क्या है

ताबिश कमाल

बे-घरी

ताबिश कमाल

कब खुलेगा कि फ़लक पार से आगे क्या है

ताबिश कमाल

नेमत-ए-अल्वान भी ख़्वान-ए-फ़लक की देख ली

ताबाँ अब्दुल हई

ख़्वान-ए-फ़लक पे नेमत-ए-अलवान है कहाँ

ताबाँ अब्दुल हई

मरने की मुझ को आप से हैं इज़तिराबियाँ

ताबाँ अब्दुल हई

क्या करें क्यूँ-कर रहें दुनिया में यारो हम ख़ुशी

ताबाँ अब्दुल हई

किसी का काम दिल इस चर्ख़ से हुआ भी है

ताबाँ अब्दुल हई

ख़ूबाँ जो पहनते हैं निपट तंग चोलियाँ

ताबाँ अब्दुल हई

काबा है अगर शैख़ का मस्जूद-ए-ख़लाइक़

ताबाँ अब्दुल हई

ता-सहर की है फ़ुग़ाँ जान के ग़ाफ़िल मुझ को

तअशशुक़ लखनवी

दिल जल के रह गए ज़क़न-ए-रश्क-ए-माह पर

तअशशुक़ लखनवी

अपनी ख़बर नहीं है ब-जुज़ इस क़दर मुझे

सय्यद ज़मीर जाफ़री

अपनी ख़बर नहीं है ब-जुज़ ईं क़दर मुझे

सय्यद ज़मीर जाफ़री

है दौर-ए-फ़लक ज़ोफ़ में पेश-ए-नज़र अपने

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

क़ाज़ी के मुँह पे मारी है बोतल शराब की

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

जब कहो क्यूँ हो ख़फ़ा क्या बाइ'स

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

आशिक़-ए-हक़ हैं हमीं शिकवा-ए-तक़दीर नहीं

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

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