फ़लक Poetry (page 5)

नाला-ए-दिल की सदा दीवार में है दर में है

शोएब अहमद मेरठी नुद्रत

तीस दिन के लिए तर्क-ए-मय-ओ-साक़ी कर लूँ

शिबली नोमानी

होती है लबों पर ख़ामोशी आँखों में मोहब्बत होती है

शेवन बिजनौरी

नुत्क़ पलकों पे शरर हो तो ग़ज़ल होती है

शेर अफ़ज़ल जाफ़री

मस्ती अज़ल की शहपर-ए-जिबरील हो गई

शेर अफ़ज़ल जाफ़री

ज़ख़्मी हूँ तिरे नावक-ए-दुज़-दीदा-नज़र से

ज़ौक़

सब को दुनिया की हवस ख़्वार लिए फिरती है

ज़ौक़

नीमचा यार ने जिस वक़्त बग़ल में मारा

ज़ौक़

नाला इस शोर से क्यूँ मेरा दुहाई देता

ज़ौक़

न करता ज़ब्त मैं नाला तो फिर ऐसा धुआँ होता

ज़ौक़

जुदा हों यार से हम और न हो रक़ीब जुदा

ज़ौक़

जब चला वो मुझ को बिस्मिल ख़ूँ में ग़लताँ छोड़ कर

ज़ौक़

बज़्म में ज़िक्र मिरा लब पे वो लाए तो सही

ज़ौक़

हमारे दर्द की जानिब इशारा करती हैं

शहपर रसूल

यार को महरूम-ए-तमाशा किया

मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता

मह्व हूँ मैं जो उस सितमगर का

मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता

दिल का गिला फ़लक की शिकायत यहाँ नहीं

मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता

अजनबी

शाज़ तमकनत

मौसम-ए-संग-ओ-रंग से रब्त-ए-शरार किस को था

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

मौज-ए-दरिया को पिएँ क्या ग़म-ए-ख़म्याज़ा करें

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

हर नक़्श अधूरा है

शकील जाज़िब

हासिल-ए-उम्र है जो एक कसक बाक़ी है

शकील जाज़िब

रक़्क़ासा-ए-हयात से

शकील बदायुनी

ज़मीं पर फ़स्ल-ए-गुल आई फ़लक पर माहताब आया

शकील बदायुनी

रह वफ़ा में कोई साहिब-ए-जुनूँ न मिला

शकील बदायुनी

राज़ में रख तिरी रुस्वाई का क़िस्सा मैं हूँ

शकील आज़मी

परों को खोल ज़माना उड़ान देखता है

शकील आज़मी

रौशन हैं दिल के दाग़ न आँखों के शब-चराग़

शकेब जलाली

बस वही लम्हा आँख देखेगी

शाइस्ता यूसुफ़

जिस तरफ़ को मैं गया रोता हुआ

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

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