नाला-ए-दिल की सदा दीवार में है दर में है

नाला-ए-दिल की सदा दीवार में है दर में है

सूर या महशर में होगा या हमारे घर में है

यूँ तो मरने को मरूँगा मैं मगर मिट्टी मिरी

या फ़लक के हाथ में या आप की ठोकर में है

मैं परेशाँ हो के निकलूँगा तो उन की बज़्म से

मेरी बर्बादी का सामाँ है तो उन के घर में है

वो अगर देखें तो अब हालत सँभलती है मिरी

वो अगर पूछें तो अब मुझ को शिफ़ा दम-भर में है

ये नहीं मौक़ा हँसी का तुम नज़र बदले रहो

अब क़ज़ा मेरी इसी बिगड़े हुए तेवर में है

दे दे चुल्लू में इकट्ठी कर के ऐ साक़ी मुझे

कुछ अभी तो ख़ुम में है शीशे में है साग़र में है

नक़्द-ए-जाँ लेने को मक़्तल में क़ज़ा नुदरत मिरी

बन के दुल्हन रूनुमा आईना-ए-ख़ंजर में है

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In Hindi By Famous Poet Shoaib Ahmad Merathi Nudrat. is written by Shoaib Ahmad Merathi Nudrat. Complete Poem in Hindi by Shoaib Ahmad Merathi Nudrat. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.