हवा Poetry (page 11)

सुख़न जो उस ने कहे थे गिरह से बाँध लिए

फ़ाज़िल जमीली

अलमिया-ए-नक़्द

फ़े सीन एजाज़

अच्छी-ख़ासी रुस्वाई का सबब होती है

फ़े सीन एजाज़

चश्म-ए-हैरत को तअल्लुक़ की फ़ज़ा तक ले गया

फ़सीह अकमल

ये और बात कि वो तिश्ना-ए-जवाब रहा

फ़र्रुख़ जाफ़री

अबस ही महव-ए-शब-ओ-रोज़ वो दुआ में था

फ़र्रुख़ जाफ़री

बहुत धोका किया ख़ुद को मगर क्या कर लिया मैं ने

फ़ारूक़ शफ़क़

आँधियों का ख़्वाब अधूरा रह गया

फ़ारूक़ शफ़क़

मैं मो'तबर हूँ इश्क़ मिरा मो'तबर नहीं

फ़ारूक़ अंजुम

जो तुझे पैकर-ए-सद-नाज़-ओ-अदा कहते हैं

फ़रहत नदीम हुमायूँ

महफ़िल में अब के आओ तो ऐसी ख़ता न हो

फ़रहत एहसास

ग़ुबार दिल पे बहुत आ गया है धो लें आज

फ़रीद जावेद

तक़ाज़ा

फ़रीद इशरती

बे-बाक अँधेरे

फ़रीद इशरती

सारे मंज़र दिलकश थे हर बात सुहानी लगती थी

फ़रह इक़बाल

नवाह-ए-जाँ में किसी के उतरना चाहा था

फ़राग़ रोहवी

यूँ नज़्म-ए-जहाँ दरहम-ओ-बरहम न हुआ था

फ़ानी बदायुनी

यूँ सजा चाँद कि झलका तिरे अंदाज़ का रंग

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

दस्त-ए-तह-ए-संग-आमदा

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

ऐ हबीब-ए-अम्बर-दस्त!

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

यूँ सजा चाँद कि झलका तिरे अंदाज़ का रंग

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

शफ़क़ की राख में जल बुझ गया सितारा-ए-शाम

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

फिर लौटा है ख़ुर्शीद-ए-जहाँ-ताब सफ़र से

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

धुँद में डूबी सारी फ़ज़ा थी उस के बाल भी गीले थे

फ़हीम शनास काज़मी

ख़ुशी की मिली ये सज़ा रफ़्ता रफ़्ता

एलिज़ाबेथ कुरियन मोना

थीं इक सुकूत से ज़ाहिर मोहब्बतें अपनी

एजाज़ उबैद

तुम इस तरफ़ से गुज़र चुकी हो मगर गली गुनगुना रही है

एहसान दरबंगावी

वफ़ा का अहद था दिल को सँभालने के लिए

एहसान दानिश

आया नहीं है राह पे चर्ख़-ए-कुहन अभी

एहसान दानिश

पूछता कौन वफ़ा से उस की

दिनेश नायडू

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