हवा Poetry (page 12)

किस के सपनों से मिरी नींद सजी रहती है

दिनेश नायडू

वो सलीक़ा हमें जीने का सिखा दे साक़ी

दर्शन सिंह

रक़्स करती है फ़ज़ा वज्द में जाम आया है

दर्शन सिंह

हँसी गुलों में सितारों में रौशनी न मिली

दर्शन सिंह

एक सब आग एक सब पानी

दानियाल तरीर

तसलसुल से गुमाँ लिक्खा गया है

दानियाल तरीर

नई नई सूरतें बदन पर उजालता हूँ

दानियाल तरीर

हुब्ब-ए-क़ौमी

चकबस्त ब्रिज नारायण

आसिफ़ुद्दौला का इमामबाड़ा लखनऊ

चकबस्त ब्रिज नारायण

वो अक्स बन के मिरी चश्म-ए-तर में रहता है

बिस्मिल साबरी

हक़-केश की फ़रियाद

बेबाक भोजपुरी

सरीर-ए-ख़ामा से तशरीह-ए-सिर्र-ए-ज़ी होगी

बेबाक भोजपुरी

राज़ है इबरत-असर फ़ितरत की हर तहरीर का

बेबाक भोजपुरी

सबा गुल-ए-रेज़ जाँ-परवर फ़ज़ा है

बशीर फ़ारूक़

बे-तहाशा सी ला-उबाली हँसी

बशीर बद्र

चुप-चाप सुलगता है दिया तुम भी तो देखो

बशर नवाज़

सुबुक-सरी में भी अंदेशा-ए-हवा रखना

बाक़र नक़वी

मैं भाग के जाऊँगा कहाँ अपने वतन से

बाक़र मेहदी

दश्त-ए-वफ़ा में ठोकरें खाने का शौक़ था

बाक़र मेहदी

जान ले ले न ज़ब्त-ए-आह कहीं

बकुल देव

दमक उठी है फ़ज़ा माहताब-ए-ख़्वाब के साथ

बद्र-ए-आलम ख़लिश

मैं ने चुप के अंधेरे में ख़ुद को रखा इक फ़ज़ा के लिए

अज़्म बहज़ाद

सोज़िश-ए-ग़म के सिवा काहिश-ए-फ़ुर्क़त के सिवा

अज़ीज़ वारसी

सुनो मुसाफ़िर! सराए-जाँ को तुम्हारी यादें जला चुकी हैं

अज़ीज़ नबील

गुज़रने वाली हवा को बता दिया गया है

अज़ीज़ नबील

साफ़ बातिन देर से हैं मुंतज़िर

अज़ीज़ लखनवी

सब पेच-ओ-ताब-ए-शौक़ के तूफ़ान थम गए

अज़ीज़ हामिद मदनी

निसार यूँ तो हुआ तुझ पे नक़्द-ए-जाँ क्या क्या

अज़ीज़ हामिद मदनी

ग़लत-बयाँ ये फ़ज़ा महर ओ कीं दरोग़ दरोग़

अज़ीज़ हामिद मदनी

इक ख़्वाब-ए-आतिशीं का वो महरम सा रह गया

अज़ीज़ हामिद मदनी

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