हवा Poetry (page 14)

दम तोड़ती है शाम की नीली हवा

असग़र नदीम सय्यद

बच्चे खुली फ़ज़ा में कहाँ तक निकल गए

असग़र मेहदी होश

घरौंदे

असग़र मेहदी होश

मजाज़ कैसा कहाँ हक़ीक़त अभी तुझे कुछ ख़बर नहीं है

असग़र गोंडवी

ख़ाली बैठे क्यूँ दिन काटें आओ रे जी इक काम करें

आरज़ू लखनवी

जो बुत है यहाँ अपनी जा एक ही है

आरज़ू लखनवी

हैराँ हूँ कि ये कौन सा दस्तूर-ए-वफ़ा है

अर्श सिद्दीक़ी

दरवाज़ा तिरे शहर का वा चाहिए मुझ को

अर्श सिद्दीक़ी

बैठा हूँ वक़्फ़-ए-मातम-ए-हस्ती मिटा हुआ

अर्श सिद्दीक़ी

ताज-ए-ज़र्रीं न कोई मसनद-ए-शाही माँगूँ

अरमान नज्मी

इक बे-निशान हर्फ़-ए-सदा की तरफ़ न देख

अरमान नज्मी

जो राह चलना है ख़ुद ही चुन लो यहाँ कोई राहबर नहीं है

अर्जुमंद बानो अफ़्शाँ

वहाँ मैं नहीं थी

आरिफ़ा शहज़ाद

मैं जिस को राह दिखाऊँ वही हटाए मुझे

आरिफ़ अब्दुल मतीन

उस की अना के बुत को बड़ा कर के देखते

अनवर सदीद

मेरी पहली नज़्म

अनवर मसूद

आँखें दिखाईं ग़ैर को मेरी ख़ता के साथ

अनवर देहलवी

घर में मिट्टी का दिया मौजूद है

अंजुम ख़याली

अनजाने ख़्वाब की ख़ातिर क्यूँ चैन गँवाया

अंजुम अंसारी

बुलबुल-ए-रंगीं-नवा ख़ामोश है

अमजद नजमी

बुज़दिल

अमजद इस्लाम अमजद

लहू में रंग लहराने लगे हैं

अमजद इस्लाम अमजद

खेल उस ने दिखा के जादू के

अमजद इस्लाम अमजद

इल्तिजा

आमिर उस्मानी

निज़ाम-ए-बस्त-ओ-कुशाद-ए-मानी सँवारते हैं

अमीर हम्ज़ा साक़िब

किया करते हैं दिलदारी दिल-आज़ारी नहीं करते

अमीरुल इस्लाम हाशमी

जंगल: एक हश्त पहलू तस्वीर

अमीक़ हनफ़ी

जंगल

अमीक़ हनफ़ी

दुआ

अमीक़ हनफ़ी

कौन है ये मतला-ए-तख़ईल पर महताब सा

अमीक़ हनफ़ी

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