गुबार Poetry (page 3)

ज़रा लौ चराग़ की कम करो मिरा दुख है फिर से उतार पर

विकास शर्मा राज़

फ़िक्र का कारोबार था मुझ में

विकास शर्मा राज़

ज़मीं से आसमाँ तक आसमाँ से ला-मकाँ तक है

वहशी कानपुरी

वही हादसों के क़िस्से वही मौत की कहानी

वफ़ा बराही

छब्बीस जनवरी

तिलोकचंद महरूम

वही अरमान जैसे जी जो मुश्किल से निकलते हैं

तिलोकचंद महरूम

किसी ने पूछा जो उम्र-ए-रवाँ के बारे में

तसनीम आबिदी

बे-मेहर कहते हो उसे जो बेवफ़ा नहीं

मीर तस्कीन देहलवी

हवा रुकी है तो रक़्स-ए-शरर भी ख़त्म हुआ

तारिक़ क़मर

सुकून-ए-दिल में वो बन के जब इंतिशार उतरा तो मैं ने देखा

ताहिर फ़राज़

छटे ग़ुबार-ए-नज़र बाम-ए-तूर आ जाए

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

हर मोड़ को चराग़-ए-सर-ए-रहगुज़र कहो

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

छटे ग़ुबार-ए-नज़र बाम-ए-तूर आ जाए

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

छटे ग़ुबार नज़र बाम-ए-तूर आ जाए

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

रोया न हूँ जहाँ में गरेबाँ को अपने फाड़

ताबाँ अब्दुल हई

कई दिन हो गए या-रब नहीं देखा है यार अपना

ताबाँ अब्दुल हई

जुनूँ पे जब्र-ए-ख़िरद जब भी होश्यार हुआ

सय्यद ज़मीर जाफ़री

क़ाज़ी के मुँह पे मारी है बोतल शराब की

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

गर्द-ए-सफ़र के साथ था वाबस्ता इंतिज़ार

सय्यद शकील दस्नवी

कभी बहार न आई बहार की सूरत

सय्यद नज़ीर हसन सख़ा देहलवी

नज़र पे बैठ गया जो ग़ुबार किस का था

सय्यद मुनीर

कैफ़ियत ही कैफ़ियत में हम कहाँ तक आ गए

सय्यद मुबीन अल्वी ख़ैराबादी

शॉर्टकट

सय्यद मुबारक शाह

कराची का ट्रैफ़िक

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

ख़ाक-दाँ को हासिल-ए-ज़ौक़-ए-नज़र समझा था मैं

सय्यद मेराज जामी

ज़रा न हम पे किया ए'तिबार गुज़री है

सय्यद हामिद

फ़साद-ए-क़ल्ब-ओ-नज़र हासिल-ए-तमाशा देख

सय्यद अमीन अशरफ़

दरख़्शाँ हो जो वो मह-ज़ादा-ए-शब

सय्यद अमीन अशरफ़

हिज्र है दिल में ख़ाक उड़ती है

सय्यद अाग़ा अली महर

चैन पड़ता है दिल को आज न कल

सय्यद आबिद अली आबिद

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