चलो चलें Poetry (page 15)

इस्तादा है जब सामने दीवार कहूँ क्या

एजाज़ गुल

ढूँढता हूँ रोज़-ओ-शब कौन से जहाँ में है

एजाज़ गुल

ढूँढता हूँ रोज़-ओ-शब कौन से जहाँ में है

एजाज़ गुल

नवेद-ए-यौम-ए-बहाराँ ख़िज़ाँ से ज़ाहिर हो

एजाज़ अासिफ़

ख़्वाब आँखों में निहाँ है अब भी

एहतिशाम अख्तर

दिल-ए-बर्बाद को छोटा सा मकाँ भी देगा

एहतिशाम अख्तर

वो बहते दरिया की बे-करानी से डर रहा था

दिलावर अली आज़र

दरून-ए-ख़्वाब नया इक जहाँ निकलता है

दिलावर अली आज़र

सारे नुक़ूश जिस पे तिरे आशियाँ के हैं

दिल अय्यूबी

आग के फूल पे शबनम के निशाँ ढूँडोगे

दीपक क़मर

वक़्त की सदियाँ

दाऊद ग़ाज़ी

तमाम नूर-ए-तजल्ली तमाम रंग-ए-चमन

दर्शन सिंह

राज़-ए-निहाँ थी ज़िंदगी राज़-ए-निहाँ है आज भी

दर्शन सिंह

तसलसुल से गुमाँ लिक्खा गया है

दानियाल तरीर

साक़ी मुझे शबाब का रसिया कहे सो हूँ

दानिश नज़ीर दानी

इस क़दर नाज़ है क्यूँ आप को यकताई का

दाग़ देहलवी

दिल को क्या हो गया ख़ुदा जाने

दाग़ देहलवी

गुफ़्तुगू में वो हलावत वो अमल में इख़्लास

दाएम ग़व्वासी

बाब-ए-रहमत पे दुआ गिर्या-कुनाँ हो जैसे

दाएम ग़व्वासी

हम को छेड़ा तो मचल जाएँगे अरमाँ की तरह

डी. राज कँवल

लाख कुछ न हम कहते बे-ज़बाँ रहे होते

चरण सिंह बशर

गुम-शुदा आदमी का इंतिज़ार

चन्द्रभान ख़याल

ख़ाक-ए-हिंद

चकबस्त ब्रिज नारायण

आसिफ़ुद्दौला का इमामबाड़ा लखनऊ

चकबस्त ब्रिज नारायण

मिरी बे-ख़ुदी है वो बे-ख़ुदी कहीं ख़ुदी का वहम-ओ-गुमाँ नहीं

चकबस्त ब्रिज नारायण

दास्तान-ए-शमअ' थी या क़िस्सा-ए-परवाना था

ब्रहमा नन्द जलीस

इश्क़ जो ना-गहाँ नहीं होता

बिस्मिल सईदी

हैराँ हूँ कि अब लाऊँ कहाँ से मैं ज़बाँ और

बिस्मिल साबरी

अक़्ल दौड़ाई बहुत कुछ तो गुमाँ तक पहुँचे

बेताब अज़ीमाबादी

शौक़ अपना आप मैं अपनी ज़बाँ से क्यूँ कहूँ

बेख़ुद देहलवी

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