हैरान Poetry (page 2)

ज़ेहन पर बोझ रहा, दिल भी परेशान हुआ

तारिक़ क़मर

किस ने आ कर हम को दी आवाज़ पिछली रात में

ताज सईद

देव-मालाएँ सच्ची होती हैं

ताबिश कमाल

आइने को तिरी सूरत से न हो क्यूँ कर हैरत

ताबाँ अब्दुल हई

सुन फ़स्ल-ए-गुल ख़ुशी हो गुलशन में आइयाँ हैं

ताबाँ अब्दुल हई

ग़ैर के हाथ में उस शोख़ का दामान है आज

ताबाँ अब्दुल हई

देते फिरते थे हसीनों की गली में आवाज़

तअशशुक़ लखनवी

आचानक मर जाने वाले लोग

सय्यद काशिफ़ रज़ा

गले हम क्या मिलें उस आदमी से

सय्यद आरिफ़ अली

तुझ को ही सोचता रहूँ फ़ुर्सत नहीं रही

सय्यद अनवार अहमद

इक तिरा दर्द है तन्हाई है रुस्वाई है

सुलैमान अहमद मानी

ज़रूरी कब है कि हर काम इख़्तियारी करें

सुहैल अख़्तर

इम्कान खुले दर का हर आन बहुत रक्खा

सुहैल अहमद ज़ैदी

रिश्ते में तिरी ज़ुल्फ़ के है जान हमारा

सिराज औरंगाबादी

बरपा तिरे विसाल का तूफ़ान हो चुका

शुजा ख़ावर

हर-चंद सहारा है तिरे प्यार का दिल को

शोहरत बुख़ारी

मस्लहत के ज़ावियों से किस क़दर अंजान है

शहपर रसूल

चुप गुज़र जाता हूँ हैरान भी हो जाता हूँ

शहपर रसूल

क़स्र वीरान हुआ जाता है

शकील बदायुनी

मुबारक वो साअत

शकेब जलाली

दाइमी सुख

शाइस्ता मुफ़्ती

क्या कोई नई बात नज़र आती है हम में

शहरयार

सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यूँ है

शहरयार

मंज़र गुज़िश्ता शब के दामन में भर रहा है

शहरयार

गुज़रे थे हुसैन इब्न-ए-अली रात इधर से

शहरयार

हुक्मराँ जब से हुईं बस्ती पे अफ़्वाहें वहाँ

शहराम सर्मदी

बदल जाएगा सब कुछ ये तमाशा भी नहीं होगा

शहराम सर्मदी

बरसात का उधर है दिमाग़ आसमान पर

शहूद आलम आफ़ाक़ी

लोग हैरान हैं हम क्यूँ ये किया करते हैं

शाहिद लतीफ़

इक क़ाफ़िला है बिन तिरे हम-राह सफ़र में

शाह नसीर

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