अधिकार Poetry (page 6)

बीच भँवर से लौट आऊँगा

शारिक़ कैफ़ी

कुछ भी हो उस से जुदाई का सबब घर जाओ

शरीफ़ अहमद शरीफ़

यूँ ब-ज़ाहिर देखे तो यार सब

शम्स तबरेज़ी

मुश्तइ'ल हो गया वो ग़ुंचा-दहन दानिस्ता

शम्स रम्ज़ी

लफ़्ज़-ओ-मा'नी के समुंदर का सफ़र हैं कुछ लोग

शम्स रम्ज़ी

ये तिरी ख़ल्क़-नवाज़ी का तक़ाज़ा भी नहीं

शकील जमाली

सफ़र से लौट जाना चाहता है

शकील जमाली

मुझे दोस्त कहने वाले ज़रा दोस्ती निभा दे

शकील बदायुनी

छुपे हैं लाख हक़ के मरहले गुम-नाम होंटों पर

शकील बदायुनी

न पैमाने खनकते हैं न दौर-ए-जाम चलता है

शकील बदायुनी

कोई आरज़ू नहीं है कोई मुद्दआ' नहीं है

शकील बदायुनी

करने दो अगर क़त्ताल-ए-जहाँ तलवार की बातें करते हैं

शकील बदायुनी

मुजरिम

शकेब जलाली

तू न आया तिरी यादों की हवा तो आई

शकेब बनारसी

मज़हर-ए-हक़ कब नज़र आता है इन शैख़ों के तईं

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

तू जो कहता है बोलता क्या है

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

सनम के देख कर लब और दहन सुर्ख़

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

रखता हूँ मैं हक़ पर नज़र कोई कुछ कहो कोई कुछ कहो

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

न इतना चाहिए ऐ पुर-शिकम ख़्वाब

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

क्या हुआ गर शैख़ यारो हाजी-उल-हरमैन है

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

कुन के कहने में जो हुआ सो हुआ

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

जिस कूँ पी का ख़याल होता है

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

इस ज़माने में न हो क्यूँकर हमारा दिल उदास

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

इस वास्ते निकलूँ हूँ तिरे कूचे से बच बच

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

ऐ दिल न कर तू फ़िक्र पड़ेगा बला के हाथ

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

न पूछ मेरी कहानी कहाँ से निकली है

शहज़ाद अंजुम बुरहानी

बहुत घुटन है यहाँ पर कोई बचा ले मुझे

शहज़ाद अंजुम बुरहानी

अब निभानी ही पड़ेगी दोस्ती जैसी भी है

शहज़ाद अहमद

ये क़ाफ़िले यादों के कहीं खो गए होते

शहरयार

ये क्या है मोहब्बत में तो ऐसा नहीं होता

शहरयार

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