इकाई Poetry (page 15)

मेरे लब तक जो न आई वो दुआ कैसी थी

ग़ुलाम मुर्तज़ा राही

फ़राख़-दस्त का ये हुस्न-ए-तंग-दस्ती है

ग़ुलाम मुर्तज़ा राही

उठने में दर्द-ए-मुत्तसिल हूँ मैं

ग़ुलाम मौला क़लक़

ख़ुशी में भी नवा-संज-ए-फ़ुग़ाँ हूँ

ग़ुलाम मौला क़लक़

ग़ैर शायान-ए-रस्म-ओ-राह नहीं

ग़ुलाम मौला क़लक़

फिर वही हम हैं ख़याल-ए-रुख़-ए-ज़ेबा है वही

ग़ुलाम भीक नैरंग

तिरा मय-ख़्वार ख़ुश-आग़ाज़-ओ-ख़ुश-अंजाम है साक़ी

ग़ुबार भट्टी

जल्वा-ए-हुस्न अगर ज़ीनत-ए-काशाना बने

ग़ुबार भट्टी

बे-चेहरगी-ए-उम्र-ए-ख़जालत भी बहुत है

ग़ज़नफ़र हाशमी

तीर जैसे कमान से निकला

ग़नी एजाज़

अक्स की कहानी का इक़्तिबास हम ही थे

ग़ालिब इरफ़ान

शाहिद-ए-हस्ती-ए-मुतलक़ की कमर है आलम

ग़ालिब

ग़म-ए-हस्ती का 'असद' किस से हो जुज़ मर्ग इलाज

ग़ालिब

अपनी हस्ती ही से हो जो कुछ हो

ग़ालिब

ज़िक्र मेरा ब-बदी भी उसे मंज़ूर नहीं

ग़ालिब

वारस्ता उस से हैं कि मोहब्बत ही क्यूँ न हो

ग़ालिब

तेरे तौसन को सबा बाँधते हैं

ग़ालिब

सियाही जैसे गिर जाए दम-ए-तहरीर काग़ज़ पर

ग़ालिब

शुमार-ए-सुब्हा मर्ग़ूब-ए-बुत-ए-मुश्किल-पसंद आया

ग़ालिब

सर-गश्तगी में आलम-ए-हस्ती से यास है

ग़ालिब

सरापा रेहन-इश्क़-ओ-ना-गुज़ीर-उल्फ़त-हस्ती

ग़ालिब

रहा गर कोई ता-क़यामत सलामत

ग़ालिब

फिर हुआ वक़्त कि हो बाल-कुशा मौज-ए-शराब

ग़ालिब

पा-ब-दामन हो रहा हूँ बस-कि मैं सहरा-नवर्द

ग़ालिब

मिरी हस्ती फ़ज़ा-ए-हैरत आबाद-ए-तमन्ना है

ग़ालिब

लूँ वाम बख़्त-ए-ख़ुफ़्ता से यक-ख़्वाब-ए-खुश वले

ग़ालिब

कार-गाह-ए-हस्ती में लाला दाग़-सामाँ है

ग़ालिब

जुनूँ तोहमत-कश-ए-तस्कीं न हो गर शादमानी की

ग़ालिब

इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही

ग़ालिब

हम से खुल जाओ ब-वक़्त-ए-मय-परस्ती एक दिन

ग़ालिब

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